आनंद कुमार सिंह मूलतः सौंदर्य के कवि हैं। उनकी कविता सौंदर्य से सत्य तक पहुंचने की यात्रा और मानव चित्ति को चीन्हने का उपक्रम है। इस यात्रा, इस उपक्रम में वह बार-बार विश्व की चिंतन पद्धतियों-प्रक्रियाओं, सभ्यताओं और मानव इतिहास की ऊबड़-खाबड़ जमीन से होकर गुजरती है। इस तरह आनंद कुमार सिंह की कविता ने अपनी अलग और चुनौतीपूर्ण लीक बनाई है। गौरव गौतम ने उस लीक को पकड़ने का प्रयास किया है। मुख्य रूप से आनंद कुमार सिंह की काव्यकृति ‘अथर्वा’ के जरिए उनके कवि-मानस को व्याख्यायित किया है। उसे उन्होंने ‘भारतमुखी’ कहा है। ‘अथर्वा’ के अलावा गौरव ने ‘सौंदर्यजल में नर्मदा’ और ‘विवेकानंद’ आदि कृतियों में प्रवेश कर मनुष�... See more
आनंद कुमार सिंह मूलतः सौंदर्य के कवि हैं। उनकी कविता सौंदर्य से सत्य तक पहुंचने की यात्रा और मानव चित्ति को चीन्हने का उपक्रम है। इस यात्रा, इस उपक्रम में वह बार-बार विश्व की चिंतन पद्धतियों-प्रक्रियाओं, सभ्यताओं और मानव इतिहास की ऊबड़-खाबड़ जमीन से होकर गुजरती है। इस तरह आनंद कुमार सिंह की कविता ने अपनी अलग और चुनौतीपूर्ण लीक बनाई है। गौरव गौतम ने उस लीक को पकड़ने का प्रयास किया है। मुख्य रूप से आनंद कुमार सिंह की काव्यकृति ‘अथर्वा’ के जरिए उनके कवि-मानस को व्याख्यायित किया है। उसे उन्होंने ‘भारतमुखी’ कहा है। ‘अथर्वा’ के अलावा गौरव ने ‘सौंदर्यजल में नर्मदा’ और ‘विवेकानंद’ आदि कृतियों में प्रवेश कर मनुष्य के उस मूल स्वरूप को पकड़ने का प्रयास किया है, जिसे आनंद कुमार सिंह ने बनाने की कोशिश की है। गौरव की यह कृति आनंद काव्य जिज्ञासा' निश्चय ही आनंद कुमार सिंह की कविता को समझने का सराहनीय आधार-तल तैयार करती है।