इमरान चाचा पूर्वांचल हॉकी के 'द्रोणाचार्य' यह उपन्यास उस अनसुने नायक की प्रेरणादायक गाथा है, जिसे पूर्वांचल की बेटियों को उड़ान देने का श्रेय तो मिला, लेकिन उनके संघर्षों और बलिदानों को बहुत कम लोग ही जान पाए। मोहम्मद इमरान, जिन्हें पूर्वांचल इमरान चाचा के नाम से जानता है, ने अपनी असफलताओं को ताकत बनाकर 50 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों को तैयार किया। भारत के महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद और के डी सिंह बाबू के शिष्य रहे इमरान चाचा उत्तर प्रदेश की ओर से खेलते थे, लेकिन 1975 के ओलंपिक में भारतीय टीम में चयन की राजनीति का शिकार होकर उनका नाम हटा दिया गया। पर इमरान चाचा ने हार मानने के बजाय यह ठान ल�... See more
इमरान चाचा पूर्वांचल हॉकी के 'द्रोणाचार्य' यह उपन्यास उस अनसुने नायक की प्रेरणादायक गाथा है, जिसे पूर्वांचल की बेटियों को उड़ान देने का श्रेय तो मिला, लेकिन उनके संघर्षों और बलिदानों को बहुत कम लोग ही जान पाए। मोहम्मद इमरान, जिन्हें पूर्वांचल इमरान चाचा के नाम से जानता है, ने अपनी असफलताओं को ताकत बनाकर 50 से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ियों को तैयार किया। भारत के महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद और के डी सिंह बाबू के शिष्य रहे इमरान चाचा उत्तर प्रदेश की ओर से खेलते थे, लेकिन 1975 के ओलंपिक में भारतीय टीम में चयन की राजनीति का शिकार होकर उनका नाम हटा दिया गया। पर इमरान चाचा ने हार मानने के बजाय यह ठान लिया कि वह अपनी पूरी ज़िंदगी अगली पीड़ी के खिलाड़ियों को ओलंपिक तक पहुँचाने में समर्पित करेंगे। 1985 में उन्होंने नारा दिया: "लड़की खिलाओ, लड़की बढ़ाओ!" उन्होंने गोरखपुर की गरीब बेटियों को न केवल हॉकी सिखाई, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और जीतने का जज़्बा भी पैदा किया। सीमित संसाधनों और बिना सरकारी सहायता के, अपने दृढ़ संकल्प से इमरान चाचा ने इन बेटियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराने के लिए तैयार किया। “हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, फिर भी आज हम उस स्तर पर नहीं हैं जहाँ होना चाहिए। खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए आज हमारे पास आधुनिक संसाधन हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच हैं, लेकिन गुरु नहीं हैं जो हॉकी पकड़ना सिखाएँ।” कहते हैं इमरान चाचा | यह उपन्यास बताता है कि असली नायक वे होते हैं, जो दूसरों के लिए जीते हैं और उन सपनों को साकार करते हैं जिन्हें समाज अक्सर अनदेखा कर देता है।