इस पुस्तक में महात्मा बुद्ध और उसके धम्म को लेकर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन है।
द्रष्टा हो जाना बुद्ध हो जाना है। बुद्धत्व कुछ और नहीं माँगता, इतना ही कि तुम जागो, और उसे देखो जो सबको देखने वाला है। विषय पर मत अटके रहो। दृश्य पर मत अटके रहो। द्रष्टा में ठहर जाओ। अकंप हो जाए तुम्हारे द्रष्टा का भाव, साक्षी का भाव, बुद्धत्व उपलब्ध हो गया। और ऐसा बुद्धत्व सभी जन्म के साथ लेकर आए हैं। इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, बुद्धत्व जन्मसिद्ध अधिकार है। इस पुस्तक में महात्मा बुद्ध के सारे ज्ञान का सारांश दिया गया है।