कोई भी देश या राज्य बाहरी लोगों और उनके द्वारा लाए गए विविध विचारों के लिए अपने दरवाजे बंद करके प्रगति और विकास नहीं कर सकता है। भारत की प्रगति विभिन्न उद्योगपतियों, उद्यमियों, खिलाडिय़ों, राजनेताओं और कलाकारों की देन है। इनमें से कइयों ने अपने मूल राज्य को छोड़कर किसी और राज्य को अपनाया तथा उस राज्य एवं संपूर्ण राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, धीरूभाई अंबानी, जो गुजरात से महाराष्ट्र आए या बलदेव दास बिड़ला, जो राजस्थान से पश्चिम बंगाल चले गए।
भारत की खूबी यह है कि किसी भी राज्य के लोगों का दूसरे राज्यों द्वारा स्वागत किया जाता है। लोग बेहतर रोजगार, सुविधा या अवसर की तलाश में एक स्थान से �... See more
कोई भी देश या राज्य बाहरी लोगों और उनके द्वारा लाए गए विविध विचारों के लिए अपने दरवाजे बंद करके प्रगति और विकास नहीं कर सकता है। भारत की प्रगति विभिन्न उद्योगपतियों, उद्यमियों, खिलाडिय़ों, राजनेताओं और कलाकारों की देन है। इनमें से कइयों ने अपने मूल राज्य को छोड़कर किसी और राज्य को अपनाया तथा उस राज्य एवं संपूर्ण राष्ट्र के निर्माण में योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, धीरूभाई अंबानी, जो गुजरात से महाराष्ट्र आए या बलदेव दास बिड़ला, जो राजस्थान से पश्चिम बंगाल चले गए।
भारत की खूबी यह है कि किसी भी राज्य के लोगों का दूसरे राज्यों द्वारा स्वागत किया जाता है। लोग बेहतर रोजगार, सुविधा या अवसर की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं। उनका गोद लिया हुआ घर उन्हें अवसर, संसाधन और ह्रश्वयार प्रदान करता है। बदले में वे प्रवासी राज्य के लोगों के साथ एक हो जाते हैं। अकसर राज्य की सामाजिक-आर्थिक-सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत योगदान देते हैं।
यह पुस्तक झारखंड में प्रवासियों के योगदान और राज्य में उनके एकीकरण को प्रदर्शित करने का एक लघु प्रयास है। देश और उसके लोगों की एकता एवं अखंडता को बनाए रखने में प्रवासियों, साथ ही राज्य की भूमिका को स्वीकार करने के लिए ऐसी पुस्तकें आवश्यक हैं।