संघर्ष के आगे जीत है दरअसल वास्तविक घटनाओं पर आधारित एक रोचक उपन्यास है जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध कोटा में दूर-दूर से आने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों की जमीनी चुनौतियों का बहुत ही जीवंत चित्रण देखने को मिलता है। इसमें जेईई की कोचिंग के लिए महाराष्ट्र से कोटा आने वाली मां और उनकी बेटी के संघर्ष की कहानी है। उन्हें एक अनजान शहर में कदम-कदम पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन वे हिम्मत हारे बिना अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ती हैं और अंत में सफलता प्राप्त करती हैं। यह उपन्यास सभी विद्यार्थियों को प्रेरणा देता है कि उन्हें कभी हताश नहीं होना चाहिए। वे अगर पूरे मनोयोग और दृढ़ संकल्प... See more
संघर्ष के आगे जीत है दरअसल वास्तविक घटनाओं पर आधारित एक रोचक उपन्यास है जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए प्रसिद्ध कोटा में दूर-दूर से आने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों की जमीनी चुनौतियों का बहुत ही जीवंत चित्रण देखने को मिलता है। इसमें जेईई की कोचिंग के लिए महाराष्ट्र से कोटा आने वाली मां और उनकी बेटी के संघर्ष की कहानी है। उन्हें एक अनजान शहर में कदम-कदम पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन वे हिम्मत हारे बिना अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ती हैं और अंत में सफलता प्राप्त करती हैं। यह उपन्यास सभी विद्यार्थियों को प्रेरणा देता है कि उन्हें कभी हताश नहीं होना चाहिए। वे अगर पूरे मनोयोग और दृढ़ संकल्प के साथ अपना लक्ष्य पाने के लिए अडिग रहें तो सफलता जरूर मिलती है। हालांकि अक्सर ही ऐसी दुखद घटनाएं सुनने को मिलती हैं जब कुछ बच्चे हताश होकर साहस छोड़ देते हैं। यह उपन्यास ऐसे विद्यार्थियों के लिए निश्चित ही प्रेरणादायी साबित होगा। About the author:- इस उपन्यास की लेखिका श्रीमती माधुरी शिवाजी पाटिल मराठीभाषी हैं लेकिन वे हिंदी में कहानियां और लेख लिखती रही हैं। वे हिंदी में ब्लॉग भी लिखती रही हैं। उन्होंने प्रतिलिपि ऐप पर गुमराह नाम से दस भागों में एक सीरीज़ भी लिखी है जिसके लिए प्रतिलिपि की ओर से उन्हें पुरस्कार भी मिला। उन्होंने सूर्या राठौड़ की एक प्रेम कहानी भी लिखी। वे कविताएं भी लिखती रही हैं। इसके अलावा उन्होंने फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखना और कंटेंट राइटिंग सीखा, साथ ही मराठी भाषा में स्टूडेंट काउंसलर का कोर्स भी किया। इस उपन्यास में उनकी लेखन प्रतिभा साफ देखी जा सकती है।