21 वीं सदी के बच्चों के लिए, 20वीं सदी के भारत की कहानियों का संग्रह और उनके माता-पिता, दादा-दादी के लिए बीते जमाने की एक यादगार यात्रा। वैसे तो इस पुस्तक का नाम चंदौसी शहर के नाम पर रखा गया है, लेकिन इसमें ऋषिकेश, आगरा, चंपारण, तिलहर, संभल, कानपुर, बनारस, लखनऊ और अन्य स्थानों की कहानियाँ भी शामिल हैं। ये कहानियाँ उस बीते दौर की हैं, जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था या उसे स्वतंत्र हुए 35 साल से अधिक नहीं हुए थे।
ये कहानियाँ 20वीं सदी की शुरुआत से सहस्त्राब्दी के अंत तक की गई यात्राओं से जुड़ी हैं। शाहजहाँपुर से दिल्ली, बिजनौर से हैदराबाद, हाथरस से स्वीडन और नॉर्वे, इलाहाबाद के लक्ष्मी टॉकीज से बेंगलुरु के नाइट वॉचमैन तक, पनक�... See more
21 वीं सदी के बच्चों के लिए, 20वीं सदी के भारत की कहानियों का संग्रह और उनके माता-पिता, दादा-दादी के लिए बीते जमाने की एक यादगार यात्रा। वैसे तो इस पुस्तक का नाम चंदौसी शहर के नाम पर रखा गया है, लेकिन इसमें ऋषिकेश, आगरा, चंपारण, तिलहर, संभल, कानपुर, बनारस, लखनऊ और अन्य स्थानों की कहानियाँ भी शामिल हैं। ये कहानियाँ उस बीते दौर की हैं, जब भारत स्वतंत्र नहीं हुआ था या उसे स्वतंत्र हुए 35 साल से अधिक नहीं हुए थे।
ये कहानियाँ 20वीं सदी की शुरुआत से सहस्त्राब्दी के अंत तक की गई यात्राओं से जुड़ी हैं। शाहजहाँपुर से दिल्ली, बिजनौर से हैदराबाद, हाथरस से स्वीडन और नॉर्वे, इलाहाबाद के लक्ष्मी टॉकीज से बेंगलुरु के नाइट वॉचमैन तक, पनकी से अमेरिका, देहरादून से कनाडा, चंदौसी से ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य स्थानों तक।
हम आशा करते हैं कि इन कहानियों में आपको कम-से-कम एक ऐसा पात्र अवश्य मिलेगा, जो आपको खुद की याद दिलाएगा; जो आप हैं, थे, या हमेशा होना चाहते थे। पाठकों को प्रेरित करने वाला भावपूर्ण व रोचक कथाओं का पठनीय संग्रह।