यह फ़ैसला लेना कि मैं अपना लिखा किताब के ज़रिए आप तक पहुँचाऊँ, आसान नहीं था। इस किताब में शायरी की शक़्ल में मैं ख़ुद आपके सामने हूँ। हर एक शेर, नज़्म, ग़ज़ल मेरी ज़िन्दगी का एक बीता हुआ पल है, कोई एहसास है जिसमें कहीं ना कहीं मैं छिपा हुआ हूँ। मेरी आप-बीती है, मेरे दिल की तमन्नाएँ हैं। मेरे अधूरे ख़्वाब हैं। मैं ख़ुद हूँ। हर लफ़्ज़ में कोई कहानी है, कोई दास्ताँ है जो मेरे होठों से आपके कानों तक, मेरी क़लम से आपके दिलों तक पहुँचना चाहती है। कोशिश की है, नतीज़ा वक़्त बताएगा। उम्मीद है, आपको पसन्द आएगा। कैसा लगा, बताइएगा ज़रूर, इन्तिज़ार रहेगा आपके फीडबैक का। आपका मक़सूद