इस पुस्तक में मैंने कबीर के 500+ दोहे, रहीम के दोहे, रसखान के दोहे एवं चौपाइयां, तुलसीदास के दोहे एवं चौपाइयां, और उपनिषद के कुछेक मंत्र या विवेचनात्मक तथ्यों को देखा। आदि गुरु शंकराचार्य की आध्यात्मिक विवेचना को भी देखा। कुल मिलाकर सांसारिक मर्म के महत्त्व को खूबसूरत लफ्जों में बयां करते जीवंत संवाद को देखा। अनंत संसार में बेरोकटोक विचरण करने वाले अनुशासनात्मक अवधारणाओं को देखा। आधुनिक संवेदना को आत्मसात करते हुए परंपरागत ज्ञान के सजीव संदर्भ को देखा। सद्य:प्रसूत सूर्यकांतिक कल्पना की तरंगित उल्लास तथा उसकी प्रेषणीयता को अपने हृदय में उतारा। एक पारदर्शी सर्जक के सांस्कृतिक विवेक की शक्ति को पहचाना। व�... See more
इस पुस्तक में मैंने कबीर के 500+ दोहे, रहीम के दोहे, रसखान के दोहे एवं चौपाइयां, तुलसीदास के दोहे एवं चौपाइयां, और उपनिषद के कुछेक मंत्र या विवेचनात्मक तथ्यों को देखा। आदि गुरु शंकराचार्य की आध्यात्मिक विवेचना को भी देखा। कुल मिलाकर सांसारिक मर्म के महत्त्व को खूबसूरत लफ्जों में बयां करते जीवंत संवाद को देखा। अनंत संसार में बेरोकटोक विचरण करने वाले अनुशासनात्मक अवधारणाओं को देखा। आधुनिक संवेदना को आत्मसात करते हुए परंपरागत ज्ञान के सजीव संदर्भ को देखा। सद्य:प्रसूत सूर्यकांतिक कल्पना की तरंगित उल्लास तथा उसकी प्रेषणीयता को अपने हृदय में उतारा। एक पारदर्शी सर्जक के सांस्कृतिक विवेक की शक्ति को पहचाना। व्यापक मानवीय संलग्नता के सौर्यक्रांतिक स्वरूप को पहचाना। मनुष्य की दुर्दम जिजीविषा को उद्भाषित करने वाले सूर्यकांतिक प्रकाश पर अपनी दृष्टि गड़ाया। सौर्यक्रांतिक औदार्य और सूर्यकांतिक बौद्धिक साहस को देखकर मैं अचंभित हुआ!