उर्दू इस एतबार से भी काफ़ी अहम और क़ाबिल-ए-ज़िक्र ज़बान है कि इसमें तहज़ीबी रंगा-रंगी बहुत है। तहज़ीबों के कई रंग, कई रूप, और कई आहंग इसमें मौजूद हैं। अपनी रंगा-रंगी, ख़ुश-आहंगी और हमा-रंगी की बाइस भी उर्दू बहुत पसन्द की जाती है। इसके रंगा-रंग अल्फ़ाज़ ऐसी-ऐसी तस्वीर बनाते हैं कि आँखें इन्हें देखती रह जाती हैं। इसके रंगा-रंग अल्फ़ाज़ सिर्फ़ ख़ूबसूरत मंज़र ही नहीं उभारते बल्कि ख़ुश-आहंग सूरत और सदा वाले अल्फ़ाज़, सुरीले और मीठे बोल भी सुनाते हैं। इस किताब में ग़ज़नफ़र ने उर्दू ज़बान-ओ-अदब के इन्हीं तहज़ीबी मंज़रों को अपने ख़ूबसूरत और पुर-कशिश अन्दाज़ में यकजा किया है। रेख़्ता की ये पेशकश उर्दू प्रेमियों को इस ज़बान के और भी क़र... See more
उर्दू इस एतबार से भी काफ़ी अहम और क़ाबिल-ए-ज़िक्र ज़बान है कि इसमें तहज़ीबी रंगा-रंगी बहुत है। तहज़ीबों के कई रंग, कई रूप, और कई आहंग इसमें मौजूद हैं। अपनी रंगा-रंगी, ख़ुश-आहंगी और हमा-रंगी की बाइस भी उर्दू बहुत पसन्द की जाती है। इसके रंगा-रंग अल्फ़ाज़ ऐसी-ऐसी तस्वीर बनाते हैं कि आँखें इन्हें देखती रह जाती हैं। इसके रंगा-रंग अल्फ़ाज़ सिर्फ़ ख़ूबसूरत मंज़र ही नहीं उभारते बल्कि ख़ुश-आहंग सूरत और सदा वाले अल्फ़ाज़, सुरीले और मीठे बोल भी सुनाते हैं। इस किताब में ग़ज़नफ़र ने उर्दू ज़बान-ओ-अदब के इन्हीं तहज़ीबी मंज़रों को अपने ख़ूबसूरत और पुर-कशिश अन्दाज़ में यकजा किया है। रेख़्ता की ये पेशकश उर्दू प्रेमियों को इस ज़बान के और भी क़रीब लाएगी और उर्दू के तहज़ीबी सरमाए से ज़ेहन-ओ-दिल को माला-माल कर देगी।