प्रस्तुत पुस्तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी.ए. (राजनीति विज्ञान) व्दितीय वर्ष सेमेस्टर चतुर्थ हेतु निर्धारित नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है | यह तथ्य है की भारत, मिस्त्र और चीन जैसे पूर्वीय देशो में पाश्चात्य राजनितिक चिन्तन के पूर्व भी राजनितिक चिन्तन का एक क्रम रहा है, लेकिन गत दो सदी की राजनितिक तथा अन्य परिस्थितियों के परिणामस्वरूप पाश्चात्य राजनितिक चिन्तन अपेक्षाकृत अधिक प्रकाशमान रहा है और परम्परागत रूप से पाठ्यचात्य राजनितिक चिन्तन को ही ‘राजनितिक चिन्तन’ के रूप में मान्यता प्राप्त रही है | पुस्तक की अव्दितीय विशेषता यह है की पाठ्यक्रम में सम्मिलित सभी राजनितिक चिंतक�... See more
प्रस्तुत पुस्तक उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी.ए. (राजनीति विज्ञान) व्दितीय वर्ष सेमेस्टर चतुर्थ हेतु निर्धारित नवीन पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है | यह तथ्य है की भारत, मिस्त्र और चीन जैसे पूर्वीय देशो में पाश्चात्य राजनितिक चिन्तन के पूर्व भी राजनितिक चिन्तन का एक क्रम रहा है, लेकिन गत दो सदी की राजनितिक तथा अन्य परिस्थितियों के परिणामस्वरूप पाश्चात्य राजनितिक चिन्तन अपेक्षाकृत अधिक प्रकाशमान रहा है और परम्परागत रूप से पाठ्यचात्य राजनितिक चिन्तन को ही ‘राजनितिक चिन्तन’ के रूप में मान्यता प्राप्त रही है | पुस्तक की अव्दितीय विशेषता यह है की पाठ्यक्रम में सम्मिलित सभी राजनितिक चिंतकों को पुस्तक में सम्मिलित किया गया है | पुस्तक में विभिन्न अध्यायों में प्रश्न (M.C.Q.) उत्तर सहित सम्मिलित किए गए है |