गोधरा रेलवे स्टेशन की दुर्घटना के बाद गुजरात के अनेक इलाक़ों में भड़कने वाले भीषण दंगे गुजरात तथा भारत के चेहरे पर कलंक हैं । इन भीषण दंगों का कारण पुलिस द्वारा क़ानून-व्यवस्था का पालन न करना था । इस पुस्तक में लेखक ने घटनास्थल पर उपस्थित एक उच्च पुलिस अधिकारी की हैसियत से दंगों और बाद में उन्हें छिपाने तथा अपराधियों को बचाने की सुसंगठित सरकारी कोशिशों का पर्दाफ़ाश किया है । दंगों के दौरान उनकी रिपोर्टें और बाद में दंगों की जाँच करने वाले जाँच आयोग के सामने उनके बयान राजनेताओं, पुलिस तथा नौकरशाहों की घिनौनी भूमिका का पर्दाफ़ाश करते हैं । उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जाँच दल (एस.आई.टी.) के कार्य को उन्होंने न�... See more
गोधरा रेलवे स्टेशन की दुर्घटना के बाद गुजरात के अनेक इलाक़ों में भड़कने वाले भीषण दंगे गुजरात तथा भारत के चेहरे पर कलंक हैं । इन भीषण दंगों का कारण पुलिस द्वारा क़ानून-व्यवस्था का पालन न करना था । इस पुस्तक में लेखक ने घटनास्थल पर उपस्थित एक उच्च पुलिस अधिकारी की हैसियत से दंगों और बाद में उन्हें छिपाने तथा अपराधियों को बचाने की सुसंगठित सरकारी कोशिशों का पर्दाफ़ाश किया है । दंगों के दौरान उनकी रिपोर्टें और बाद में दंगों की जाँच करने वाले जाँच आयोग के सामने उनके बयान राजनेताओं, पुलिस तथा नौकरशाहों की घिनौनी भूमिका का पर्दाफ़ाश करते हैं । उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जाँच दल (एस.आई.टी.) के कार्य को उन्होंने निकट से देखा और इस निष्कर्ष तक पहुँचे कि एस.आई.टी. ने अपराधियों को उनके कुकृत्यों का दण्ड दिलाने के बजाय उनको बचाने वाले वकील के तौर पर काम किया ।