9789352663576 : Emergency Ki Inside Story‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे �... See more
9789352663576 : Emergency Ki Inside Story‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे हैं। क्यों घोषित हुई इमरजेंसी और इसका मतलब क्या था, यह आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि तब प्रेरणा की शक्ति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मिली थी और आज भी सबकी जबान पर भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। एक नई प्रस्तावना के साथ लेखक वर्तमान पाठकों को एक बार फिर तथ्य, मिथ्या और सत्य के साथ आसानी से समझ आनेवाली विश्लेषणात्मक शैली में परिचित करा रहे हैं। वह अनकही यातनाओं और मुख्य अधिकारियों के साथ ही उनके काम करने के तरीके से परदा उठाते हैं।
9788119032037 : Raw Secret Agentsजासूसी एक गुप्त अवैध गतिविधि है। जासूस कभी भी मनमानी या मनमरजी से काम नहीं कर सकते। वे केवल वही निर्धारित काम करते हैं, जो उन्हें सौंपा जाता है। ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, वफादारी, सच्चाई और नियोक्ता का अनुपालन ऐसे गुण हैं, जो एक जासूस के व्यवहार में आते हैं। ये मूल्य जासूसों एवं उनके नियोक्ताओं के बीच विश्वास के कारण हैं और पेशे की गरिमा को आधार प्रदान करते हैं।खुफिया सेवाओं में काम करना तनावपूर्ण हो सकता है। बाहरी लोगों के साथ अपने काम की चर्चा करना वर्जित है। देश के बाहर जासूसी करना तो जान हथेली पर लेकर फिरने जैसा है। फिल्मी कहानियों से उलट, पकड़े जाने पर यहाँ चमत्कार होने की कोई उम्मीद नहीं होती। ऐसी स्थिति में उनके नियोक्ता भी हाथ खींच लेते हैं। वे कभी स्वीकार नहीं करते कि वे (पकड़े गए व्यक्ति) उनके जासूस हैं, न ही वे उन्हें जासूस होने की मान्यता देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में दी गई जासूसों की भावुक कहानियों से हमें यही जानने को मिलता है कि ये कथित जासूस वर्षों जेल में अपनी जवानी खपाकर लौटे तो बुढ़ापे में इन्हें नारकीय जीवन हासिल हुआ।