Kyun (Hindi) Jaun Elia Unpublished Poetry Masterpiece (First Time Ever) जौन एलिया के साथ-साथ उनकी शायरी भी अमर है। जौन एलिया अपनी शायरी के ज़रिए अपने सुनने वालों से बातें करते हैं, इसलिए वो आज भी अपने कलाम में ज़िन्दा हैं और हमेशा रहेंगे। ये किताब जौन एलिया के ऐसे ही नए मज़ामीन और ताज़ा मानी से भरपूर अप्रकाशित कलाम का संकलन है। उनके अप्रकाशित कलाम को इस किताब में पाठकों के लिए महफ़ूज़ करने की कोशिश की गई है। जौन एलिया उत्तर प्रदेश के शहर अमरोहा के एक इल्मी घराने में 1931 ई. में पैदा हुए। उनके वालिद सय्यद शफ़ीक़ हसन एलिया एक ग़रीब शायर और विद्वान थे। जौन की आरम्भिक शिक्षा अमरोहा के मदरसों में हुई जहाँ उन्होंने उर्दू, अरबी और फ़ारसी सीखी। पाठ्य पुस्तकों से कोई दिलचस्प... See more
Kyun (Hindi) Jaun Elia Unpublished Poetry Masterpiece (First Time Ever) जौन एलिया के साथ-साथ उनकी शायरी भी अमर है। जौन एलिया अपनी शायरी के ज़रिए अपने सुनने वालों से बातें करते हैं, इसलिए वो आज भी अपने कलाम में ज़िन्दा हैं और हमेशा रहेंगे। ये किताब जौन एलिया के ऐसे ही नए मज़ामीन और ताज़ा मानी से भरपूर अप्रकाशित कलाम का संकलन है। उनके अप्रकाशित कलाम को इस किताब में पाठकों के लिए महफ़ूज़ करने की कोशिश की गई है। जौन एलिया उत्तर प्रदेश के शहर अमरोहा के एक इल्मी घराने में 1931 ई. में पैदा हुए। उनके वालिद सय्यद शफ़ीक़ हसन एलिया एक ग़रीब शायर और विद्वान थे। जौन की आरम्भिक शिक्षा अमरोहा के मदरसों में हुई जहाँ उन्होंने उर्दू, अरबी और फ़ारसी सीखी। पाठ्य पुस्तकों से कोई दिलचस्पी नहीं थी और इम्तिहान में फ़ेल भी हो जाते थे। बड़े होने के बाद उनको फ़लसफ़े से दिलचस्पी पैदा हुई। उन्होंने उर्दू, फ़ारसी और फ़लसफ़ा में एम.ए. की डिग्रियाँ हासिल कीं। वो अंग्रेज़ी, पहलवी, इबरानी, संस्कृत और फ़्रांसीसी ज़बानें भी जानते थे। नौजवानी में वो कम्यूनिज़्म की तरफ़ उन्मुख हुए। विभाजन के बाद उनके बड़े भाई पाकिस्तान चले गए थे। माँ और बाप के देहावसान के बाद जौन एलिया को भी 1956 में न चाहते हुए भी पाकिस्तान जाना पड़ा और वो आजीवन अमरोहा और हिन्दोस्तान को याद करते रहे।