राजस्थान के सीकर ज़िले में पैदा हुए राहगीर एक घुमक्कड़ कलाकार हैं। देश भर घूमने, जीवन-समाज को क़रीब से देखने तथा महसूस करने का इनका अनुभव इनके गीतों, कविताओं और कहानियों में दृष्टिगोचर होता है। राहगीर अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों एवं विडंबनाओं पर प्रहार करते हैं।
अपने सच्चे-सरल लेखन और गायकी से ये सबके चहेते बने हुए हैं। ‘कच्चा घड़ा’, ‘फूलों की लाशों में ताज़गी चाहता है’, ‘तुम पकड़ के गाड़ी मेरे गाँव आओगे’, ‘जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली’ और ‘कैसा कुत्ता है’ जैसे गीत ज़ुबाँ-ज़ुबाँ पर हैं।
अब तक इनके तीन एल्बम और 40 से अधिक गीत रिलीज़ हो चुके हैं। इनकी पहली पुस्तक ‘कैसा कुत्ता ... See more
राजस्थान के सीकर ज़िले में पैदा हुए राहगीर एक घुमक्कड़ कलाकार हैं। देश भर घूमने, जीवन-समाज को क़रीब से देखने तथा महसूस करने का इनका अनुभव इनके गीतों, कविताओं और कहानियों में दृष्टिगोचर होता है। राहगीर अपने गीतों के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों एवं विडंबनाओं पर प्रहार करते हैं।
अपने सच्चे-सरल लेखन और गायकी से ये सबके चहेते बने हुए हैं। ‘कच्चा घड़ा’, ‘फूलों की लाशों में ताज़गी चाहता है’, ‘तुम पकड़ के गाड़ी मेरे गाँव आओगे’, ‘जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली’ और ‘कैसा कुत्ता है’ जैसे गीत ज़ुबाँ-ज़ुबाँ पर हैं।
अब तक इनके तीन एल्बम और 40 से अधिक गीत रिलीज़ हो चुके हैं। इनकी पहली पुस्तक ‘कैसा कुत्ता है!’ अपने प्रकाशन वर्ष (2022) से ही कविताओं की सबसे लोकप्रिय किताब बनी हुई है। साल 2023 में इनकी दूसरी किताब और पहला उपन्यास ‘आहिल’ प्रकाशित हुआ। यह इनकी तीसरी किताब और दूसरा कविता-संग्रह है।
इनके गाने यूट्यूब, स्पॉटिफ़ाई इत्यादि पर सुने जा सकते हैं। इनके सफ़र का हिस्सा बनने के लिए सोशल मीडिया पर Rahgir नाम से जुड़ा जा सकता है।