सिर्फ कहानियां लिखना हर्ष कुमार सेठ का कभी उद्देश्य नहीं रहा। बल्कि कल्पना स्वरूप वास्तविक उद्देश्य को ढूंढना उनका मूल संभव रहा है। कहानियों के माध्यम से सकारात्मकता को बनाए रखना व निराशा के भाव को दूर भगाने का प्रयास पुस्तक में जरूर नजर आता है। जहां कहीं-कहीं फिल्मों जैसा माहौल बनता है वहीं पर कहानी के अंत तक आते-आते कहानी शिक्षा पद हो जाती है। लेखक का उद्देश्य हर किसी की उम्र का ध्यान रखते हुए प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ना एक कहानी लिखने का रहा है। कहानियां भी आपसे कैसे बातें करती हैं, यह कल्पना करना व कहानियों के माध्यम से आपके सोचने की शक्ति को भी निस्वार्थ भाव से सिर्फ और सिर्फ साफ और अच्छे के लिए उपयोगी... See more
सिर्फ कहानियां लिखना हर्ष कुमार सेठ का कभी उद्देश्य नहीं रहा। बल्कि कल्पना स्वरूप वास्तविक उद्देश्य को ढूंढना उनका मूल संभव रहा है। कहानियों के माध्यम से सकारात्मकता को बनाए रखना व निराशा के भाव को दूर भगाने का प्रयास पुस्तक में जरूर नजर आता है। जहां कहीं-कहीं फिल्मों जैसा माहौल बनता है वहीं पर कहानी के अंत तक आते-आते कहानी शिक्षा पद हो जाती है। लेखक का उद्देश्य हर किसी की उम्र का ध्यान रखते हुए प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक ना एक कहानी लिखने का रहा है। कहानियां भी आपसे कैसे बातें करती हैं, यह कल्पना करना व कहानियों के माध्यम से आपके सोचने की शक्ति को भी निस्वार्थ भाव से सिर्फ और सिर्फ साफ और अच्छे के लिए उपयोगी बनाना कहानियां दरशा रही है। तू और मैं के बीच सम भाव जगत का सार है। जहां तेरा मेरा भाव हम में बदल जाए वही कहानियों की भी सार हो, यह भाव लेखक का रहा है। लेखक स्वयं निष्ठावान होकर कहानियों में खोना चाहता रहा है और वह आपमें भी यही ढूंढने का प्रयास करना चाहता रहा है। अंत में कहानी अक्षरों में अपनी जुबान ढूंढ रही है जिससे वह संपूर्ण हो जाए।