झूटी औरत एक प्रतिष्ठित परिवार की सदस्या एक ऐसी महिला की कहानी जो कदम कदम पर झूठ बोलती थी जिसे अपने हितैषी और मददगार सुनील से भी झूठ बोलने से कोई गुरेज नहीं था जिसकी बाबत जिद करने लगी थी कि उसने जिस शख्स को गोली चलने के बाद मौकाएवारदात से भागते देखा था वो सुनील था। झूठी औरत नया, परिवर्धित संस्करण! मूल कथानक से बिल्कुल जुदा! जिसे लेखक ने शुरू से आखिर तक फिर से लिखा।दुबई गैंगDubai Gang | दुबई गैंग : हालात की गर्दिश ने जीत सिंह का कभी पीछा न छोड़ा। इस बार बमय सामान एक पैसेंजर पकड़ा तो मंजिल पर पहुँचकर पैसेंजर गायब हो गया। सामान की वजह से थाने में हाजिरी भरनी पड़ी। वहाँ सामान का भेद खुला तो प्राण कांप गए। फिर उसके साथ बद् से बद्तर �... See more
झूटी औरत एक प्रतिष्ठित परिवार की सदस्या एक ऐसी महिला की कहानी जो कदम कदम पर झूठ बोलती थी जिसे अपने हितैषी और मददगार सुनील से भी झूठ बोलने से कोई गुरेज नहीं था जिसकी बाबत जिद करने लगी थी कि उसने जिस शख्स को गोली चलने के बाद मौकाएवारदात से भागते देखा था वो सुनील था। झूठी औरत नया, परिवर्धित संस्करण! मूल कथानक से बिल्कुल जुदा! जिसे लेखक ने शुरू से आखिर तक फिर से लिखा।दुबई गैंगDubai Gang | दुबई गैंग : हालात की गर्दिश ने जीत सिंह का कभी पीछा न छोड़ा। इस बार बमय सामान एक पैसेंजर पकड़ा तो मंजिल पर पहुँचकर पैसेंजर गायब हो गया। सामान की वजह से थाने में हाजिरी भरनी पड़ी। वहाँ सामान का भेद खुला तो प्राण कांप गए। फिर उसके साथ बद् से बद्तर हुआ, बद्तरीन हुआ। ऐसा ही था जीत सिंह उर्फ जीता जो कभी कुछ न जीता फिर भी नाम जीता दुबई गैंग टॉप मिस्ट्री राइटर सुरेन्द्र मोहन पाठक का नवीनतम उपन्यास साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुतिजादूगरनीअनुपमा अपने नाम को सार्थक करती थी। उसकी कोई उपमा नहीं थी। उसके बारे में सिर्फ ये कह देना काफी नहीं था कि वो इंतहाई खूबसूरत थी। वो मोनालिसा थी, क्लोपेट्रा थी, वीनस थी। वो जादूगरनी थी। वो किसी को तोता बनाकर पिंजरे में बंद कर सकती थी। मक्खी बना कर दीवार से चिपका सकती थी। जादूगरनी ‘सुनील सीरीज’ का यादगार उपन्यास सुरेन्द्र मोहन पाठक की करिश्माई लेखनी पूरे जलाल पर। साहित्य विमर्श प्रकाशन की गौरवशाली प्रस्तुति।