यह पुस्तक सिंध के राजा दाहिर सेन पर लिखी गई है, जो कि सिंध नामक प्रांत पर सन 712 में उस समय शासन कर रहे थे जिस समय अरब का आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम भारत को लूटने के लिए आया था।
पुस्तक के लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य की यह अनूठी शैली है कि वे इतिहास के उन छुपे हुए हीरों को लोगों के सामने लाने का प्रयास करते हैं जिन्होंने किसी समय विशेष पर देश के लिए अपना या तो अनुपम बलिदान दिया था या अनुपम सेवाएं देते हुए अपना जीवन जिया था। हिंद के राजा दाहिर सेन के विषय में अनेकों छुपे हुए तथ्यों को इस पुस्तक में पाठकों के समक्ष लाकर डॉक्टर आर्य ने देश की अनुपम सेवा की है। क्योंकि ऐसे इतिहासनायकों के जीवन से शिक्षा लेकर हमारी वर्तमान ... See more
यह पुस्तक सिंध के राजा दाहिर सेन पर लिखी गई है, जो कि सिंध नामक प्रांत पर सन 712 में उस समय शासन कर रहे थे जिस समय अरब का आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कासिम भारत को लूटने के लिए आया था।
पुस्तक के लेखक डॉ. राकेश कुमार आर्य की यह अनूठी शैली है कि वे इतिहास के उन छुपे हुए हीरों को लोगों के सामने लाने का प्रयास करते हैं जिन्होंने किसी समय विशेष पर देश के लिए अपना या तो अनुपम बलिदान दिया था या अनुपम सेवाएं देते हुए अपना जीवन जिया था। हिंद के राजा दाहिर सेन के विषय में अनेकों छुपे हुए तथ्यों को इस पुस्तक में पाठकों के समक्ष लाकर डॉक्टर आर्य ने देश की अनुपम सेवा की है। क्योंकि ऐसे इतिहासनायकों के जीवन से शिक्षा लेकर हमारी वर्तमान पीढ़ी बहुत कुछ कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकती है। डॉक्टर आर्य के लेखन का उद्देश्य भी यही है कि वर्तमान पीढ़ी को जागृत किया जाए।
17 जुलाई, 1967 को उत्तर प्रदेश के जनपद गौतम बुद्ध नगर के महावड़ नामक गांव में जन्मे लेखक की अब तक 56 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने अपने ऐसे ही राष्ट्रवादी लेखन के माध्यम से इतिहास के नायकों को लोगों के सामने लाने का प्रयास कर राष्ट्रवन्ध कार्य किया है। जिसके लिए लेखक धन्यवाद और बधाई के पात्र हैं।
देशभक्त वीर राजा दाहिर सेन ने उस समय अपने पूरे परिवार को राष्ट्र जागरण के अनुपम कार्य में लगा दिया था। बड़ी संख्या में देश के लोगों ने बलिदान दिए। यहां तक कि राजा के अपने परिवार के लोगों ने भी बलिदान दिए और राजा स्वयं भी वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनके बलिदान और शौर्य को यदि आज की पीढ़ी स्मरण करे तो निश्चय ही राष्ट्रबोध से ओत-प्रोत हो सकती है। जिस नीरस इतिहास को आज हमें पढ़ाया जा रहा है वह हमारी युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करने और उसके भीतर राष्ट्रीयता का भाव भरने में सर्वथा असफल रहा है।