लता दीदी: अजीब दास्ताँ है ये...’ एक खोज। इस खोज की शुरुआत तो हुई होगी करोड़ों संगीत रसिकों के मस्तिष्क में, लेकिन अपार लोकप्रियता के बावजूद लता मंगेशकर एक गूढ़ रहस्य ही बनी हुई हैं। लेखक की खोज का आरम्भ हुआ एक व्यावसायिक भेंट से, जिसकी परिणति हुई 21 देशों और 53 शहरों में हुए 139 कार्यक्रमों में, लता जी के साथ उनके उद्घोषक की जिम्मेदारी निभाते हुए-और लेखक ने पाया लता जी के व्यक्तित्व को नजदीक से जानने का दुर्लभ अवसर। लता की प्रवास डायरी ने समय रहते जीवनी का स्वरूप ग्रहण कर लिया। इस जीवन कथा में विश्लेषण का नज़रिया है, तो साथ-साथ एक अति सफल फिर भी एकाकी कलाकार के प्रति सहायता भी।