ब्लाडीमीर लेनिन कार्ल मार्क्स के सच्चे अनुयायी थे। सोवियत रूस में मजदूर सत्ता स्थापित करके शोषणरहित समाज की स्थापना कर उन्होंने मार्क्स के सपनों को साकार किया और सामन्तवाद, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद की नींव को हिला दिया। साम्राज्यवादियों और पूंजीवादियों के रुख में भी परिवर्तन आया। किसी क्रांति के भय से साम्राज्यवादियों ने एक के बाद एक उपनिवेशों को राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी सोवियत रूस ने इन्हें स्वावलम्बी बनाने में भारी उदार सहायता दी। रूस में लेनिन ने न केवल राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्था को बदल दिया बल्कि एक नई सोवियत संस्कृति की भी नींव डाली। युगदृष्टा लेनिन ने न के... See more
ब्लाडीमीर लेनिन कार्ल मार्क्स के सच्चे अनुयायी थे। सोवियत रूस में मजदूर सत्ता स्थापित करके शोषणरहित समाज की स्थापना कर उन्होंने मार्क्स के सपनों को साकार किया और सामन्तवाद, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद की नींव को हिला दिया। साम्राज्यवादियों और पूंजीवादियों के रुख में भी परिवर्तन आया। किसी क्रांति के भय से साम्राज्यवादियों ने एक के बाद एक उपनिवेशों को राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान की। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी सोवियत रूस ने इन्हें स्वावलम्बी बनाने में भारी उदार सहायता दी। रूस में लेनिन ने न केवल राजनीतिक तथा आर्थिक व्यवस्था को बदल दिया बल्कि एक नई सोवियत संस्कृति की भी नींव डाली। युगदृष्टा लेनिन ने न केवल विश्व की शोषित जनता को प्रेरणा दी बल्कि पूँजीवादियों को भी सबक सिखाया। सामाजिक परिवर्तन लाने में लेनिन का इतिहास में विशेष स्थान है और इसे इस पुस्तक के पठन से जानिए।