अगर कोई ऐसी शख़्सियत है, जो जिं़दादिल है, जिसकी पैनी नज़र है और जिसके लिए जीवन जीने का नाम है, तो वह शख़्सियत खुशवंत सिंह की ही हो सकती है। भारत के सबसे लोकप्रिय और कई किताबों के लेखक खुशवंत सिंह ने अपने हास्य, ईमानदारी और तीखी टिप्पणियों से हमारी जिं़दगियों को प्रबुद्ध बनाया है और झकझोरा है। खुशवंतनामा में 98 वर्ष के खुशवंत अपने इस सक्रिय जीवन के सफ़र से हासिल सबकों के बारे में बता रहे हैं। बुढ़ापे और मृत्यु का डर हो, सेक्स का आनंद हो, कविता का मज़ा हो या हंसी की अहमियत, इन सभी पर उनके ख़ास अंदाज़ में उनकी टिप्पणियों से यह किताब सजी हुई है। राजनीति, राजनेताओं और भारत के भविष्य जैसे गंभीर विषय पर उनकी राय यह मौजूद है और वे इसक... See more
अगर कोई ऐसी शख़्सियत है, जो जिं़दादिल है, जिसकी पैनी नज़र है और जिसके लिए जीवन जीने का नाम है, तो वह शख़्सियत खुशवंत सिंह की ही हो सकती है। भारत के सबसे लोकप्रिय और कई किताबों के लेखक खुशवंत सिंह ने अपने हास्य, ईमानदारी और तीखी टिप्पणियों से हमारी जिं़दगियों को प्रबुद्ध बनाया है और झकझोरा है। खुशवंतनामा में 98 वर्ष के खुशवंत अपने इस सक्रिय जीवन के सफ़र से हासिल सबकों के बारे में बता रहे हैं। बुढ़ापे और मृत्यु का डर हो, सेक्स का आनंद हो, कविता का मज़ा हो या हंसी की अहमियत, इन सभी पर उनके ख़ास अंदाज़ में उनकी टिप्पणियों से यह किताब सजी हुई है। राजनीति, राजनेताओं और भारत के भविष्य जैसे गंभीर विषय पर उनकी राय यह मौजूद है और वे इसके बारे में भी बताते हैं कि लेखक होने का मतलब क्या होता है और उनके लिए धर्म के क्या मायने हैं। और जब सवाल यह हो कि रिटायरमेंट का सामना कैसे करें और लंबी ज़िंदगी कैसे जीएं, तो इसके बारे में भी आपको खुशवंत सिंह से बेहतर कौन बता सकता है?