दिलीप पाण्डेय :
पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर (MCA) रहे दिलीप पाण्डेय वर्तमान में विधायक और चीफ़ व्हिप (सत्ता पक्ष, दिल्ली विधानसभा) हैं। तीरंदाज़ी और संगीत में गहन रुचि रखने वाले दिलीप की 4 किताबें—दहलीज़ पर दिल, खुलती गिरहें, कॉल सेंटर, टपकी और बूँदी के लड्डू—प्रकाशित हो चुकी हैं। चौथी किताब का उर्दू अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है। अपने एनजीओ ‘राधिका प्रहलाद फाउंडेशन’ के ज़रिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करते हैं।
चंचल शर्मा :
दिल्ली में पली-बढ़ी चंचल शर्मा ने स्नातक की पढ़ाई डीयू से पूरी की। लेखन में अपनी रुचि के कारण, 12वीं के बाद जर्नलिज्म में डिप्लोमा करके हिंदी में कहानियाँ, लेख, नज़्में लिखती रही है... See more
दिलीप पाण्डेय :
पेशे से कंप्यूटर इंजीनियर (MCA) रहे दिलीप पाण्डेय वर्तमान में विधायक और चीफ़ व्हिप (सत्ता पक्ष, दिल्ली विधानसभा) हैं। तीरंदाज़ी और संगीत में गहन रुचि रखने वाले दिलीप की 4 किताबें—दहलीज़ पर दिल, खुलती गिरहें, कॉल सेंटर, टपकी और बूँदी के लड्डू—प्रकाशित हो चुकी हैं। चौथी किताब का उर्दू अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है। अपने एनजीओ ‘राधिका प्रहलाद फाउंडेशन’ के ज़रिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करते हैं।
चंचल शर्मा :
दिल्ली में पली-बढ़ी चंचल शर्मा ने स्नातक की पढ़ाई डीयू से पूरी की। लेखन में अपनी रुचि के कारण, 12वीं के बाद जर्नलिज्म में डिप्लोमा करके हिंदी में कहानियाँ, लेख, नज़्में लिखती रही हैं। एमए (इतिहास) और (समाज सेवा) में पढ़ाई के साथ लेखन जारी रहा। वर्तमान में सर्टिफ़ाइड योग प्रशिक्षिका होने के साथ चंचल शर्मा की चार किताबें—दहलीज़ पर दिल, खुलती गिरहें, कॉल सेंटर, टपकी और बूंदी के लड्डू—प्रकाशित हो चुकी हैं। एक किताब का उर्दू में अनुवाद भी हुआ है।