मनीष यादव का जन्म 7 जनवरी 1999 को पटना ज़िले के बख्तियारपुर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा दानापुर, पटना से प्राप्त की। मगध विश्वविद्यालय से साल 2019 में स्नातक किया और इन दिनों IGNOU से हिंदी साहित्य में परास्नातक कर रहे हैं और साथ ही भारतीय रेलवे में कार्यरत भी हैं। वह 18 साल की उम्र से कविताएँ लिख रहे हैं। उनकी कविताएँ ‘ककसाड़’, ‘कृति बहुमत’, ‘दोआबा’, ‘वागर्थ’ जैसी चर्चित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं एवं ‘हिंदवी’, ‘कविताकोश’, ‘जानकीपुल’, ‘कृत्या’ आदि वेब पोर्टलों पर भी मौजूद हैं। यह उनका पहला कविता-संग्रह है।
Excerpt. © Reprinted by permission. All rights reserved.
घुप्प अँधेरा छाया
बिना किसी अंधकार के
एकाएक उठा वह
और चिं... See more
मनीष यादव का जन्म 7 जनवरी 1999 को पटना ज़िले के बख्तियारपुर में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा दानापुर, पटना से प्राप्त की। मगध विश्वविद्यालय से साल 2019 में स्नातक किया और इन दिनों IGNOU से हिंदी साहित्य में परास्नातक कर रहे हैं और साथ ही भारतीय रेलवे में कार्यरत भी हैं। वह 18 साल की उम्र से कविताएँ लिख रहे हैं। उनकी कविताएँ ‘ककसाड़’, ‘कृति बहुमत’, ‘दोआबा’, ‘वागर्थ’ जैसी चर्चित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं एवं ‘हिंदवी’, ‘कविताकोश’, ‘जानकीपुल’, ‘कृत्या’ आदि वेब पोर्टलों पर भी मौजूद हैं। यह उनका पहला कविता-संग्रह है।
Excerpt. © Reprinted by permission. All rights reserved.
घुप्प अँधेरा छाया
बिना किसी अंधकार के
एकाएक उठा वह
और चिंतित स्वर में बोल उठा
माँ मैं तुम्हारा पुत्र
व्रत तोड़ दो
क्योंकि निश्चित ही
तुम्हारी भूख से ज़्यादा क़ीमती नहीं है
मेरे प्राण बचाए रखने की इच्छा।