‘कविता का सफ़र’ जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है ‘सफ़र’ जिस तरह सफ़र कई उतार-चढ़ाव के बाद अपने गंत्तव्य तक पहुँचता है, उसी प्रकार मेरी यह काव्य कृति ‘कविता का सफ़र’ भी जिन्दगी के कई उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख का समन्वय हैं। धीरे-धीरे जिन्दगी का सफ़र जैसे आगे बढ़ता गया मेरे ज्ञान का भंडार भी अनेक प्रकार के अनुभवों से भरता चला गया। मन में एक कसक थी कि अपने इन अनुभवों और विचारो को सबके समक्ष रख सकूँ। लेकिन अपने विचारो को पद्य का रूप दूँ या गद्य का इसका मन में काफी समय से द्वंद्व था। जीवन की परिस्थितयों से लड़ते-लड़ते समय कैसे पंख लगाकर उड गया पता ही नहीं चला। अब ऐसा लगता हैं की मेरे पास विचार, शब्द और भाव सब था बस इनकी अभिव्यत्तिफ में ... See more
‘कविता का सफ़र’ जैसा कि नाम से ही प्रतीत हो रहा है ‘सफ़र’ जिस तरह सफ़र कई उतार-चढ़ाव के बाद अपने गंत्तव्य तक पहुँचता है, उसी प्रकार मेरी यह काव्य कृति ‘कविता का सफ़र’ भी जिन्दगी के कई उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख का समन्वय हैं। धीरे-धीरे जिन्दगी का सफ़र जैसे आगे बढ़ता गया मेरे ज्ञान का भंडार भी अनेक प्रकार के अनुभवों से भरता चला गया। मन में एक कसक थी कि अपने इन अनुभवों और विचारो को सबके समक्ष रख सकूँ। लेकिन अपने विचारो को पद्य का रूप दूँ या गद्य का इसका मन में काफी समय से द्वंद्व था। जीवन की परिस्थितयों से लड़ते-लड़ते समय कैसे पंख लगाकर उड गया पता ही नहीं चला। अब ऐसा लगता हैं की मेरे पास विचार, शब्द और भाव सब था बस इनकी अभिव्यत्तिफ में समय लग गया। अपनी काव्य रचनाओं की भाषा मैंने सरल ही रखी है, ताकि मेरे एहसासों को पाठक सरलता से समझ सके। मेरे ये शब्द कागज पर बिखरे उन मोतियों की तरह हैं, जिनका हर किसी के जीवन से कोई न कोई नाता है।