9789355628176 : Dr. Ambedkar Ki Virasat Aur Drishti | Ambedkar’s Vision For Rights, Justice, and Equalityडॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार और मानव अधिकारों के पैरोकार थे।भारत को लेकर डॉ. आंबेडकर की दृष्टि समानता, निष्पक्षता और भाईचारे के सिद्धांतों से संचालित थी। वे जाति व्यवस्था के मुखर आलोचक थे, जिसे वे ऐसा सामाजिक उत्पीड़न मानते थे, जिसने भारत में लाखों लोगों को अज्ञानी व गरीब बनाए रखा। उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र और मानव अधिकार तथा जाति व्यवस्था की भेदभाव प्रकृति के कारण इसके विरोधी थे।डॉ. आंबेडकर का समाज-सुधार का कार्य दलितों से कहीं अधिक विस्तारित था। उनका मानना था कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान अवसर एवं अधिकार मिलने चाहिए। वे महिला अधिक�... See more
9789355628176 : Dr. Ambedkar Ki Virasat Aur Drishti | Ambedkar’s Vision For Rights, Justice, and Equalityडॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार और मानव अधिकारों के पैरोकार थे।भारत को लेकर डॉ. आंबेडकर की दृष्टि समानता, निष्पक्षता और भाईचारे के सिद्धांतों से संचालित थी। वे जाति व्यवस्था के मुखर आलोचक थे, जिसे वे ऐसा सामाजिक उत्पीड़न मानते थे, जिसने भारत में लाखों लोगों को अज्ञानी व गरीब बनाए रखा। उन्होंने तर्क दिया कि लोकतंत्र और मानव अधिकार तथा जाति व्यवस्था की भेदभाव प्रकृति के कारण इसके विरोधी थे।डॉ. आंबेडकर का समाज-सुधार का कार्य दलितों से कहीं अधिक विस्तारित था। उनका मानना था कि महिलाओं को भी पुरुषों के समान अवसर एवं अधिकार मिलने चाहिए। वे महिला अधिकारों के मुखर समर्थक थे। वे सामाजिक न्याय के प्रबल पक्षकर व आजीवन शोषित-वंचितों के उन्नयन और उत्थान के लिए कृत संकल्पित रहे।
9789392573446 : Mahanayak Dr. Ambedkar Ka Bachapanभारत रत्न बाबासाहब डॉ. बी.आर. आंबेडकर को भारतीयसंविधान के सिद्धांत निर्माता और दलित अधिकारों के मुर प्रवक्ता के रूप में जाना जाताहै। उन्होंने कम उम्र से ही भेदभाव का अनुभव किया, जिसका उन्होंने अपने बाद के लेखनमें स्पष्ट रूप से वर्णन किया। एक जगह वे लिखते हैं—‘‘स्कूल में रहते हुए मैं जानताथा कि जब सामान्य वर्ग के बच्चे प्यासे होते हैं, तो वे पानी के नल के पास जा सकतेहैं, उसे खोल सकते हैं और अपनी प्यास बुझा सकते हैं, लेकिन मेरी स्थिति अलग थी। मैंनल को नहीं छू सकता था और जब तक नल को कोई सामान्य जन मेरे लिए नहीं खोल देता, तब तकमेरी प्यास बुझाना संभव न था।’’1920 में उन्होंनेएक साप्ताहिक मराठी अखबार शुरू किया, जिसमें जातिगत भेदभाव की कड़ी आलोचना की गई। उन्होंने1937 और 1946 में अंग्रेजों द्वारा दिए गए चुनाव लड़ने के लिए दो राजनीतिक दलों कीस्थापना की, हालाँकि इन्हें संसाधन-संपन्न कांग्रेस पार्टी के खिलाफ बहुत कम सफलतामिली। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, तो प्रधानमंत्री नेहरू ने उन्हें पहले कानून औरन्यायमंत्री बनने के लिए आमंत्रित किया। संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था।डॉ. आंबेडकर ने इसकी सराहना की कि इसकी सीमाएँ हैं।