भारत, जो कभी सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त था, लगातार आक्रमणकारियों का लक्ष्य बना। आक्रांताओं ने इस समृद्ध सभ्यता को नष्ट करने के प्रयास निरंतर किए। मुस्लिम आक्रांताओं के आगमन ने अत्याचारों से भरे एक अशांत युग की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हिंदू समाज के मूल ढाँचे को कमजोर करना था।गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को दीवार में चिनवाने से लेकर मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों के विध्वंस तक-इन आक्रमणों के घाव बहुत गहरे हैं।जैसे-जैसे सदियाँ बीतती गईं, हिंसा का यह चक्र बढ़ता गया। सनातन धर्म को मिटाने के लिए षड्यंत्र रचे गए, लाखों हिंदुओं को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे किसी और ईश्वर को मानने वाले थे, या बहु�... See more
भारत, जो कभी सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त था, लगातार आक्रमणकारियों का लक्ष्य बना। आक्रांताओं ने इस समृद्ध सभ्यता को नष्ट करने के प्रयास निरंतर किए। मुस्लिम आक्रांताओं के आगमन ने अत्याचारों से भरे एक अशांत युग की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हिंदू समाज के मूल ढाँचे को कमजोर करना था।गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को दीवार में चिनवाने से लेकर मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों के विध्वंस तक-इन आक्रमणों के घाव बहुत गहरे हैं।जैसे-जैसे सदियाँ बीतती गईं, हिंसा का यह चक्र बढ़ता गया। सनातन धर्म को मिटाने के लिए षड्यंत्र रचे गए, लाखों हिंदुओं को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे किसी और ईश्वर को मानने वाले थे, या बहुईश्वरवादी थे। गजवा-ए-हिंद की विचारधारा प्रबल हुई, जिहाद इस्लामी प्रभुत्व चाहने वालों के लिए एक हथियार बन गया।दुर्भुष संघर्ष, चुनौतियों और कष्टों के बावजूद, हिंदू समुदाय सदियों के उत्पीड़न के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाकर रख पाया। यह पुस्तक इन आक्रमणों के ऐतिहासिक संदर्भ और सनातनियों की भावना पर प्रकाश डालती है। यह बताती है कि कैसे दृढ़ इच्छाशक्ति और पूर्वजों के पौरुष ने न केवल उनकी पहचान की रक्षा की, बल्कि इस देश की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखा।पुस्तक पूर्व में हिंदू समाज के खिलाफ हुए षड्यंत्रों और उनके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई भयावह परिस्थितियों पर तो प्रकाश डालती ही है, साथ-ही-साथ वर्तमान में हिंदू समाज के खिलाफ चल रहे आंतरिक षड्यंत्रों एवं चुनौतियों से भी समाज को सचेत करती है।