9789355624598 : Hindutva Ki Hattrick
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का विश्लेषण करते समय हमें यह जरूर ध्यान रखना होगा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों, चर्चाओं, कुचक्रों व अफवाहों के बाद भी देश की जनता ने एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार चुनी। चुनाव पूर्व बने राजग गठबंधन को देश की महान् जनता ने फिर पाँच साल के लिए प्रतिनिधित्व सौंपा। जनादेश की स्पष्टता देखिए कि किसी नए सहयोगी की आवश्यकता नहीं पड़ी और कौन सी पार्टी व कौन सा नेता नेतृत्व करेगा, ये सब पहले ही तय कर दिया गया। हिंदुत्व की राजनीति का अंत मानने वालों के लिए यह करारा झटका है। तमाम नकारात्मक चर्चाओं के बाद भी बीजेपी को 240 सीटें देकर उसके अडिग व विचलित न होने वाले मतदाता ने साफ कर दिया कि वह ह... See more
9789355624598 : Hindutva Ki Hattrick
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों का विश्लेषण करते समय हमें यह जरूर ध्यान रखना होगा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों, चर्चाओं, कुचक्रों व अफवाहों के बाद भी देश की जनता ने एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार चुनी। चुनाव पूर्व बने राजग गठबंधन को देश की महान् जनता ने फिर पाँच साल के लिए प्रतिनिधित्व सौंपा। जनादेश की स्पष्टता देखिए कि किसी नए सहयोगी की आवश्यकता नहीं पड़ी और कौन सी पार्टी व कौन सा नेता नेतृत्व करेगा, ये सब पहले ही तय कर दिया गया। हिंदुत्व की राजनीति का अंत मानने वालों के लिए यह करारा झटका है। तमाम नकारात्मक चर्चाओं के बाद भी बीजेपी को 240 सीटें देकर उसके अडिग व विचलित न होने वाले मतदाता ने साफ कर दिया कि वह हर परिस्थिति में उसके साथ है।9789352663576 : Emergency Ki Inside Story
‘इन सबकी शुरुआत उड़ीसा में 1972 में हुए उप-चुनाव से हुई। लाखों रुपए खर्च कर नंदिनी को राज्य की विधानसभा के लिए चुना गया था। गांधीवादी जयप्रकाश नारायण ने भ्रष्टाचार के इस मुद्दे को प्रधानमंत्री के सामने उठाया। उन्होंने बचाव में कहा कि कांग्रेस के पास इतने भी पैसे नहीं कि वह पार्टी दफ्तर चला सके। जब उन्हें सही जवाब नहीं मिला, तब वे इस मुद्दे को देश के बीच ले गए। एक के बाद दूसरी घटना होती चली गई और जे.पी. ने ऐलान किया कि अब जंग जनता और सरकार के बीच है। जनता—जो सरकार से जवाबदेही चाहती थी और सरकार—जो बेदाग निकलने की इच्छुक नहीं थी।’ख्यातिप्राप्त लेखक कुलदीप नैयर इमरजेंसी के पीछे की सच्ची कहानी बता रहे हैं। क्यों घोषित हुई इमरजेंसी और इसका मतलब क्या था, यह आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि तब प्रेरणा की शक्ति भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मिली थी और आज भी सबकी जबान पर भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। एक नई प्रस्तावना के साथ लेखक वर्तमान पाठकों को एक बार फिर तथ्य, मिथ्या और सत्य के साथ आसानी से समझ आनेवाली विश्लेषणात्मक शैली में परिचित करा रहे हैं। वह अनकही यातनाओं और मुख्य अधिकारियों के साथ ही उनके काम करने के तरीके से परदा उठाते हैं। भारत के लोकतंत्र में 19 महीने छाई रही अमावस पर रहस्योद्घाटन करनेवाली एक ऐसी पुस्तक, जिसे अवश्य पढ़ना चाहिए।
9789350488317 : Godan
प्रेमचंद आधुनिक हिंदी साहित्य के कालजयी कथाकार हैं। कथा-कुल की सभी विधाओं—कहानी, उपन्यास, लघुकथा आदि सभी में उन्होंने लिखा और अपनी लगभग पैंतीस वर्ष की साहित्य-साधना तथा लगभग चौदह उपन्यासों एवं तीन सौ कहानियों की रचना करके ‘प्रेमचंद युग’ के रूप में स्वीकृत होकर सदैव के लिए अमर हो गए। प्रेमचंद का ‘सेवासदन’ उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि वह हिंदी का बेहतरीन उपन्यास माना गया। ‘सेवासदन’ में वेश्या-समस्या और उसके समाधान का चित्रण है, जो हिंदी मानस के लिए नई विषयवस्तु थी। ‘प्रेमाश्रम’ में जमींदार-किसान के संबंधों तथा पश्चिमी सभ्यता के पड़ते प्रभाव का उद्घाटन है। ‘रंगभूमि’ में सूरदास के माध्यम से गांधी के स्वाधीनता संग्राम का बड़ा व्यापक चित्रण है। ‘कायाकल्प’ में शारीरिक एवं मानसिक कायाकल्प की कथा है। ‘निर्मला’ में दहेज-प्रथा तथा बेमेल-विवाह के दुष्परिणामों की कथा है। ‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास में पुनः ‘प्रेमा’ की कथा को कुछ परिवर्तन के साथ प्रस्तुत किया गया है। ‘गबन’ में युवा पीढ़ी की पतन-गाथा है और ‘कर्मभूमि’ में देश के राजनीति संघर्ष को रेखांकित किया गया है। ‘गोदान’ में कृषक और कृषि-जीवन के विध्वंस की त्रासद कहानी है। उपन्यासकार के रूप में प्रेमचंद का महान् योगदान है। उन्होंने हिंदी उपन्यास को भारतीय मुहावरा दिया और उसे समाज और संस्कृति से जोड़ा तथा साधारण व्यक्ति को नायक बनाकर नया आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने हिंदी भाषा को मानक रूप दिया और देश-विदेश में हिंदी उपन्यास को भारतीय रूप देकर सदैव के लिए अमर बना दिया।—डॉ. कमल किशोर गोयनका