राहुल सांकृत्यायन भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का पितामह भी कहा जाता है।
उनका जन्म 9 अप्रैल 1893 को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और फिर बौद्ध भिक्षु बने। बौद्ध धर्म में दीक्षित होने के बाद उन्होंने अपना नाम ‘राहुल’ रखा। राहुल सांकृत्यायन ने कई देशों की यात्रा की, जिनमें तिब्बत, श्रीलंका, जापान और रूस शामिल हैं। उनका यात्रा साहित्य विविधतापूर्ण है और अद्वितीय अनुभवों से भरा हुआ है।
वे एक प्रख्यात लेखक थे और उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं। उनका साहित्यिक कार्य विभिन्न विधाओं में है, जिसमें उपन्यास, इतिहास, दर्शन औ... See more
राहुल सांकृत्यायन भारतीय साहित्य और संस्कृति के प्रमुख व्यक्तित्व थे। उन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का पितामह भी कहा जाता है।
उनका जन्म 9 अप्रैल 1893 को आजमगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने बौद्ध धर्म का अध्ययन किया और फिर बौद्ध भिक्षु बने। बौद्ध धर्म में दीक्षित होने के बाद उन्होंने अपना नाम ‘राहुल’ रखा। राहुल सांकृत्यायन ने कई देशों की यात्रा की, जिनमें तिब्बत, श्रीलंका, जापान और रूस शामिल हैं। उनका यात्रा साहित्य विविधतापूर्ण है और अद्वितीय अनुभवों से भरा हुआ है।
वे एक प्रख्यात लेखक थे और उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं। उनका साहित्यिक कार्य विभिन्न विधाओं में है, जिसमें उपन्यास, इतिहास, दर्शन और संस्मरण शामिल हैं। वे विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता थे और उन्होंने संस्कृत, हिंदी, पालि, अपभ्रंश, तिब्बती, तमिल और उर्दू का अध्ययन किया था। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1958) और पद्म भूषण (1963) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। 14 अप्रैल 1963 को उनका देहांत हुआ।
राहुल सांकृत्यायन के योगदान को भारतीय साहित्य और संस्कृति में अमूल्य माना जाता है, और उनकी यात्रा और खोज ने भा