निहाल पराशर का यह उपन्यास आपको दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस रंग-बिरंगे संसार में ले जाता है, जहाँ हर मोड़ पर सपने और संघर्ष की कहानियाँ बिखरी पड़ी हैं। यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि उन अनकहे लम्हों की गवाही है जो हर युवा के दिल में कहीं गहरे बसे होते हैं।
यहाँ मिलेंगे आपको—अमोल, जो एक अनसुलझी कहानी की तलाश में है; शालिनी, जिसकी आँखों में बसी उदासी उसे सबकी नज़रों से अलग करती है; कुणाल, जिसका हर लफ्ज़ क्रांति की चिंगारी है; और अजीत, जिसकी बेफ़िक़्री में ही ज़िंदगी का असली स्वाद छुपा है।
कहानी उन दोस्तों की है, जो राजनीति, थिएटर और अधूरे सपनों के बीच अपनी पहचान खोजते हैं। जहाँ हर किरदार एक अधूरेपन के साथ जीता है, वहीं ह... See more
निहाल पराशर का यह उपन्यास आपको दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस रंग-बिरंगे संसार में ले जाता है, जहाँ हर मोड़ पर सपने और संघर्ष की कहानियाँ बिखरी पड़ी हैं। यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि उन अनकहे लम्हों की गवाही है जो हर युवा के दिल में कहीं गहरे बसे होते हैं।
यहाँ मिलेंगे आपको—अमोल, जो एक अनसुलझी कहानी की तलाश में है; शालिनी, जिसकी आँखों में बसी उदासी उसे सबकी नज़रों से अलग करती है; कुणाल, जिसका हर लफ्ज़ क्रांति की चिंगारी है; और अजीत, जिसकी बेफ़िक़्री में ही ज़िंदगी का असली स्वाद छुपा है।
कहानी उन दोस्तों की है, जो राजनीति, थिएटर और अधूरे सपनों के बीच अपनी पहचान खोजते हैं। जहाँ हर किरदार एक अधूरेपन के साथ जीता है, वहीं हर पन्ना आपको अपने बीते हुए कल से जोड़ता है।
क्या अमोल अपनी ‘दर्द भरी कहानी’ को जी पाएगा? क्या शालिनी की उदासी की परतों के पीछे छुपे राज़ खुल पाएँगे?
इस उपन्यास को अभी ऑर्डर करें और खो जाइए दिल्ली यूनिवर्सिटी की उन गलियों में, जहाँ हर मोड़ पर एक नई कहानी इंतज़ार कर रही है।