जीवन कई अलग-अलग टुकड़ों से जुड़कर बना है। यहाँ सीधा-सरल कुछ भी नहीं है, जैसे किसी यात्रा को पूरा करने से पहले हम कई जगह रुक कर सुस्ताते चलते हैं, ठीक उसी तरह जीवन यात्रा में भी कई ठहराव कई रूप में मौजूद है। यहाँ लिखा सबकुछ इस जीवन की तरह है, जिसे कई टुकड़ों में समेटने की कोशिश की गई है। यहाँ प्रेम की हताशा भी दर्ज है तो अंधकार से बाहर आने की उम्मीद भी। यहाँ इंतजार चौखट पर खड़ा है, तो किसी को इन्तजार छोड़ देने की सलाह भी। जब- जब जहां जैसा कुछ मिला जीवन में, ठीक अपने लिखे में भी उसे समेटा। जब इसे लिख रहा था तो नहीं पता था कि इतना कुछ लिखा जाएगा कि यह किसी रोज किताब की शक्ल ले लेगा। इसे किताब के रूप में इकट्ठा करने का एक कारण य... See more
जीवन कई अलग-अलग टुकड़ों से जुड़कर बना है। यहाँ सीधा-सरल कुछ भी नहीं है, जैसे किसी यात्रा को पूरा करने से पहले हम कई जगह रुक कर सुस्ताते चलते हैं, ठीक उसी तरह जीवन यात्रा में भी कई ठहराव कई रूप में मौजूद है। यहाँ लिखा सबकुछ इस जीवन की तरह है, जिसे कई टुकड़ों में समेटने की कोशिश की गई है। यहाँ प्रेम की हताशा भी दर्ज है तो अंधकार से बाहर आने की उम्मीद भी। यहाँ इंतजार चौखट पर खड़ा है, तो किसी को इन्तजार छोड़ देने की सलाह भी। जब- जब जहां जैसा कुछ मिला जीवन में, ठीक अपने लिखे में भी उसे समेटा। जब इसे लिख रहा था तो नहीं पता था कि इतना कुछ लिखा जाएगा कि यह किसी रोज किताब की शक्ल ले लेगा। इसे किताब के रूप में इकट्ठा करने का एक कारण यह भी है कि जगह-जगह बिखरे दुखों को एक जगह समेटा जा सके। जब लौटना हो तो अपने अतीत से एक जगह सामना हो। यहाँ लिखें में मैं कई रूप में मौजूद भी हूँ और नहीं भी। इसलिए पाठक जब इसे पढ़ेंगे तो पूरी संभावना है कि वह मुझे भूल जाए, और यह मैं चाहता भी हूँ। लेखक परिचय: गौरव गुप्ता, एक युवा कवि और लेखक हैं जिन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मुक़ाम हासिल किया है। उनका प्रसिद्ध कविता संग्रह "तुम्हारे लिए" (2018) मुम्बई लिटरेचर फेस्टिवल में बेस्ट पांडुलिपी अवार्ड से सम्मानित कृति है। गौरव की कविताएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे 'दोआबा', 'वागर्थ', 'कविता-विहान', 'बहुमत' और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों जैसे 'हिन्दवी', 'मेराकी', 'कविताकोश', 'समालोचन' पर पढ़ी जा सकती हैं। गौरव के लेख अंग्रेजी मैगजीन Outlook में भी समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं। गौरव एक सजग अनुवादक भी हैं। उन्होंने महमूद दरवेश, निज़ार क़ब्बानी जैसे महत्वपूर्ण कवियों की कविताओं का भी अनुवाद किया है। उनके अनुवाद कई साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।