मैं कृष्ण मित्तल आप सभी की तरह एक साधारण व्यक्ति हूँ और आप सभी की तरह नये अवसरों की तलाश करता हूँ। बस ये किताब लिखना भी उसी जीवन चक्र का ही एक हिस्सा मात्र है। मैं न तो लेखक हूँ और न कोई कवि, बस जो कुछ भी इस किताब में है ये सिर्फ़ मेरे विचारों का एक प्रतिबिम्ब मात्र है। मैं पेशे से एक ग्राफिक डिजाइनर हूँ और मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से आता हूँ। मैं यह पुस्तक को अपने पूज्य पिताजी स्व। श्री शान्ती स्वरुप मित्तल जी को समर्पित करता हूँ, जिनके परिश्रम और पुरुषार्थ के कारण ही मैं जीवन में कुछ करने लायक बन पाया। यह किताब मैं उन सभी माताओं और पिताओं को समर्पित करता हूँ, जो अपना सर्वस्व अपनी सन्तान को अर्पित कर देते है।