इस संस्मरण-संग्रह में लेखक के जीवन की उन महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा है जिन्होंने उसके तन-मन को झकझोर कर रख दिया है। कुछ ने उसे आहत किया है तो कुछ ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया हैं। वह कईं बार गिरा है और उठकर आगे बढ़ा है। ऐसा कहा जा सकता है कि ये संस्मरण लेखक की जीवन-यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। पाठकों को उसके जीवन की एक झलक देतें हैं। ये संस्मरण गाँव की संस्कृति व सभ्यता की मिठास लिए हुए हैं तो दूसरी ओर शहर की जीवन-शैली व आपा-धापी की झलक है। अनेक जीवन के खटटे-मीठे अनुभव हैं इस संग्रह में। सभी संस्मरण साहित्यक पुट लिए हुए हैं जिनसे इनकी रोचकता तो बनती ही है, पाठक को अन्दर तक छू जाते हैं। उसे कहीं न कहीं �... See more
इस संस्मरण-संग्रह में लेखक के जीवन की उन महत्वपूर्ण घटनाओं का लेखा-जोखा है जिन्होंने उसके तन-मन को झकझोर कर रख दिया है। कुछ ने उसे आहत किया है तो कुछ ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया हैं। वह कईं बार गिरा है और उठकर आगे बढ़ा है। ऐसा कहा जा सकता है कि ये संस्मरण लेखक की जीवन-यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं। पाठकों को उसके जीवन की एक झलक देतें हैं। ये संस्मरण गाँव की संस्कृति व सभ्यता की मिठास लिए हुए हैं तो दूसरी ओर शहर की जीवन-शैली व आपा-धापी की झलक है। अनेक जीवन के खटटे-मीठे अनुभव हैं इस संग्रह में। सभी संस्मरण साहित्यक पुट लिए हुए हैं जिनसे इनकी रोचकता तो बनती ही है, पाठक को अन्दर तक छू जाते हैं। उसे कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि यह घटना तो उसके जीवन की है और वह उससे जुड जाता है। अनेक घटनाएँ नितान्त व्यक्तिगत होते हुए भी सांस्कृतिक व ऐतिहासिक महत्व की हैं। भारतीय संस्कृति की सम्पन्नता अनेक संस्मरणों में दिखाई पड़ती है। यह संग्रह लेखक के जीवन के घटनाक्रम के साथ-साथ समाज में आए तेजी से बदलाव व मूल्यों में आई गिरावट का भी सजीव विवरण लिए हुए हैं। संस्मरण नहीं, लेखक के जीवन कि खुली किताब है, एक-एक पन्ने पर लेखक की निष्ठा, सघंर्ष, संवेदनशीलता व साहित्य प्रेम बिखरा हुआ है। सभी चित्र सहज व स्वाभाविक गति से आगे बढ़तें हैं जिससे इनकी पठनीयता और बढ़ गई है।