कैथरीन मेयो की किताब ‘मदर इंडिया’ विश्व विख्यात कृति है। इसके प्रकाशन ने भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में खलबली मचा दी। दुनिया में बहुत कम किताबें हैं, जो इतनी लोकप्रिय और विवादास्पद भी हुई हों। न्यूयाॅर्क, सैन फ्रांसिस्को, लंदन और कलकत्ता में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए। न्यूयाॅर्क के टाउनहॉल के बाहर इसकी प्रतियां जलाई गईं। ब्रिटेन की संसद और भारत की केंद्रीय असेंबली में इस पर बहसें हुईं। भारत की केंद्रीय असेंबली में इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। इस किताब ने अपने समय की विश्व प्रसिद्ध मशहूर हस्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इनमें पेरियार, गांधी, रवीन्द्र नाथ टैगोर, विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री)... See more
कैथरीन मेयो की किताब ‘मदर इंडिया’ विश्व विख्यात कृति है। इसके प्रकाशन ने भारत, ब्रिटेन और अमेरिका में खलबली मचा दी। दुनिया में बहुत कम किताबें हैं, जो इतनी लोकप्रिय और विवादास्पद भी हुई हों। न्यूयाॅर्क, सैन फ्रांसिस्को, लंदन और कलकत्ता में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुए। न्यूयाॅर्क के टाउनहॉल के बाहर इसकी प्रतियां जलाई गईं। ब्रिटेन की संसद और भारत की केंद्रीय असेंबली में इस पर बहसें हुईं। भारत की केंद्रीय असेंबली में इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। इस किताब ने अपने समय की विश्व प्रसिद्ध मशहूर हस्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इनमें पेरियार, गांधी, रवीन्द्र नाथ टैगोर, विंस्टन चर्चिल (ब्रिटेन के प्रधानमंत्री), सरोजनी नायडू, रूडयार्ड किपलिंग और एनी बेसेंट आदि शामिल हैं। डॉ. आंबेडकर ने अपनी रचनाओं में कई जगह इस किताब का जिक्र किया है। इस किताब का अनुवाद विभिन्न यूरोपीय भाषाओं में हुआ। भारत में इसका बांग्ला, तमिल, तेलगु, मराठी, उर्दू और हिंदी में अनुवाद हुआ। 1950 के दशक तक इसके अलग-अलग संस्करणों की 3 लाख 95 हजार 678 प्रतियां बिक गई थीं। इस किताब के समर्थन और विरोध में 50 से अधिक किताबें और पंफलेट लिखे गए। भारत में ‘मदर इंडिया’ नाम से फिल्म भी बनी, जो इसी से प्रेरित थी। इस किताब की लोकप्रियता का आलम यह है कि इसके नए-नए संस्करण प्रकाशित होते रहे, लेकिन लंबे समय से हिंदी में यह अनुपलब्ध थी।