परशुराम को उस व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है, जिन्होंने अपने क्रोध और प्रतिशोध की ज्वाला में पूरे शासक वर्ग को नष्ट कर दिया था। आपने उनके बारे में अपने दादा-दादी से सुना होगा या टेलीविजन पर किसी पौराणिक कथा में एक संक्षिप्त झलक देखी होगी, लेकिन शायद ही कभी उनके जीवन की कहानी को विस्तार से जाना होगा।
इस पुस्तक का उद्देश्य उनकी बाद की उपलब्धियों के बारे में बात करना नहीं है, जिनके बारे में बहुत से लोग जानते हैं, बल्कि उनके जन्म से पहले को घटनाओं को पाठकों के सामने लाना है, जो धीरे- धीरे लेकिन निश्चित रूप से इस साधारण ब्राह्मण बालक को एक किंवदंती बना देती हैं, जिसके रूप में हम उन्हें जानते हैं आज । उनके पदचिन्हो �... See more
परशुराम को उस व्यक्ति के रूप में पहचाना जाता है, जिन्होंने अपने क्रोध और प्रतिशोध की ज्वाला में पूरे शासक वर्ग को नष्ट कर दिया था। आपने उनके बारे में अपने दादा-दादी से सुना होगा या टेलीविजन पर किसी पौराणिक कथा में एक संक्षिप्त झलक देखी होगी, लेकिन शायद ही कभी उनके जीवन की कहानी को विस्तार से जाना होगा।
इस पुस्तक का उद्देश्य उनकी बाद की उपलब्धियों के बारे में बात करना नहीं है, जिनके बारे में बहुत से लोग जानते हैं, बल्कि उनके जन्म से पहले को घटनाओं को पाठकों के सामने लाना है, जो धीरे- धीरे लेकिन निश्चित रूप से इस साधारण ब्राह्मण बालक को एक किंवदंती बना देती हैं, जिसके रूप में हम उन्हें जानते हैं आज । उनके पदचिन्हो ने पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम में महाराष्ट्र और उत्तर में हिमाचल से लेकर दक्षिण में केरल तक देश की लंबाई और चौड़ाई को चिन्हित किया है। यह पुस्तक भारत के इतिहास में सबसे लोकप्रिय ब्रह्म-क्षत्रिय की कथा को पाठकों के समक्ष लाने का विनम्र प्रयास है।