पुस्तक के बारे में
यह पुस्तक 365 भगवद्गीता श्लोकों का संग्रह है, जिसमें प्रत्येक श्लोक का अर्थ और विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही, इसमें प्रतिदिन करने के लिए 365 कर्मों की सूची भी शामिल है, जो व्यक्ति को धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। पुस्तक का उद्देश्य यह है कि पाठक प्रतिदिन एक श्लोक पढ़ें, उसका अर्थ समझें और अपने जीवन में उतारें। हर श्लोक के साथ उसका विस्तृत विवरण दिया गया है, जिससे पाठक उसकी गहराई को समझ सकें और उसे सही तरीके से अपने जीवन में लागू कर सकें। साथ ही, पुस्तक में दिए गए 365 कर्म हर दिन के लिए एक नया कर्म सुझाते हैं, जिसे करके व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सक�... See more
पुस्तक के बारे में
यह पुस्तक 365 भगवद्गीता श्लोकों का संग्रह है, जिसमें प्रत्येक श्लोक का अर्थ और विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही, इसमें प्रतिदिन करने के लिए 365 कर्मों की सूची भी शामिल है, जो व्यक्ति को धर्म और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। पुस्तक का उद्देश्य यह है कि पाठक प्रतिदिन एक श्लोक पढ़ें, उसका अर्थ समझें और अपने जीवन में उतारें। हर श्लोक के साथ उसका विस्तृत विवरण दिया गया है, जिससे पाठक उसकी गहराई को समझ सकें और उसे सही तरीके से अपने जीवन में लागू कर सकें। साथ ही, पुस्तक में दिए गए 365 कर्म हर दिन के लिए एक नया कर्म सुझाते हैं, जिसे करके व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकता है। ये कर्म सरल और व्यावहारिक होते हैं, जिन्हें दैनिक जीवन में आसानी से अपनाया जा सकता है। इनमें से कुछ कर्म सामाजिक सेवा, आत्म-संयम, ध्यान और आत्म-विश्लेषण से संबंधित होते हैं। इस पुस्तक का उद्देश्य व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देना है। यह न केवल भगवद्गीता के श्लोकों का ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि उन्हें जीवन में उतारने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन भी देती है। इस प्रकार, यह पुस्तक उन सभी के लिए एक अमूल्य संसाधन है, जो आध्यात्मिकता और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित हैं I
लेखक के बारे में
परम पूज्य श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज का जन्म 27 सितंबर 1989 को जबलपुर, मध्यप्रदेश के रिवझा ग्राम में हुआ। महाराज श्री ने अयोध्या में श्री राम कथा का अध्ययन किया और फिर श्री हनुमान जी से आशीर्वाद लेकर संपूर्ण भारत में सनातन धर्म का प्रचार किया।
समाज में मातृशक्ति की पीड़ा देखकर महाराज जी ने मई 2019 में वृंदावन में वृद्धाश्रम की स्थापना की, जिससे माताएँ सुखमय जीवन व्यतीत कर सकें। कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने जरुरतमंदों की मदद की और गौरी गोपाल अन्नक्षेत्र की शुरुआत की, जहाँ हज़ारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था निशुल्क होती है। महाराज जी सनातन धर्म के प्रचार और समाज कल्याण के लिए लगातार प्रयासरत हैं।