बाइकिंग सीखने के बाद हर किसी का सपना होता है कि वो बाइक से लेह-लद्दाख की यात्रा पर निकले- ऐसे ही कुछ लड़कों के सफर की कहानी है "सपनों का सफ़रनामा"। २०१७ के जून महीने में तीन दोस्त बाइक से लेह-लद्दाख की यात्रा करने की योजना बनाते हैं। इन तीनों की ये पहली ट्रिप होती जो कई हज़ार किलोमीटर्स की और कई दिनों की होनेवाली थी। ऐसे में वो आधे-अधूरे अनुभव के साथ निकल पड़ते हैं दिल्ली से लद्दाख की ओर!
२०१७ में कश्मीर काफ़ी बुरे दौर से गुज़र रहा था और किस दिन कौन सी सड़क पर प्रदर्शन और पत्थरबाज़ी हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं होता था! ऐसे हालातों को मद्देनज़र रखते हुए तीनों मित्र यह तय करते हैं कि कश्मीर से न होकर मनाली के रास्ते जाएंगे, पर त�... See more
बाइकिंग सीखने के बाद हर किसी का सपना होता है कि वो बाइक से लेह-लद्दाख की यात्रा पर निकले- ऐसे ही कुछ लड़कों के सफर की कहानी है "सपनों का सफ़रनामा"। २०१७ के जून महीने में तीन दोस्त बाइक से लेह-लद्दाख की यात्रा करने की योजना बनाते हैं। इन तीनों की ये पहली ट्रिप होती जो कई हज़ार किलोमीटर्स की और कई दिनों की होनेवाली थी। ऐसे में वो आधे-अधूरे अनुभव के साथ निकल पड़ते हैं दिल्ली से लद्दाख की ओर!
२०१७ में कश्मीर काफ़ी बुरे दौर से गुज़र रहा था और किस दिन कौन सी सड़क पर प्रदर्शन और पत्थरबाज़ी हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं होता था! ऐसे हालातों को मद्देनज़र रखते हुए तीनों मित्र यह तय करते हैं कि कश्मीर से न होकर मनाली के रास्ते जाएंगे, पर तब उनको मनाली के रास्ते आने वाली बाधा का बिलकुल अंदाज़ा नहीं था। तीनों मनाली तक तो पहुँच जाते हैं, पर वहाँ जाकर कुछ कारणों से आगे नहीं बढ़ पाते, मनाली में इनके बहुमूल्य तीन दिन बर्बाद हो जाते हैं और आख़िरकार सब निराश होकर वापस जाने की सोचते हैं कि तभी उनको एक नए अलग रास्ते का पता चलता है! आगे चलकर ये रास्ता उनको श्रीनगर के रास्ते ही लेकर जाता है जहाँ उनको अलग-अलग अनुभव होते हैं, कहीं बाइक फेलियर तो कहीं पत्थरबाज़ी, कहीं माउंटेन सिकनेस का असर तो कहीं सरकारी नियमों के दाँव-पेंच, कभी ऊँचे पहाड़ों को देखकर भूगोल समझने का प्रयास करते हैं तो कहीं कारगिल में वीरों की समाधियों को भावुक होकर नमन करते हैं! उम्मीद है आपको "सपनों का सफ़रनामा" पढ़कर आनंद आएगा।