यदि विद्यालयी शिक्षा मनुष्य को शिक्षित करती है तो यायावरी उस शिक्षा को कुछ और समृद्ध कर देती है। किताबी ज्ञान एक मनुष्य को नौकरी या रोजगार पाने के लायक बनाता है तो घुमक्कड़ी मनुष्य को अपनी जीवन-यात्रा सुगम बनाने में मदद करती है। इसलिए मानव-जीवन में यात्राओं की अप्रतिम महत्ता है। प्रस्तुत पुस्तक लेखक द्वारा देशभर में की गई बहुल यात्राओं का एक ऐसा ही दस्तावेज है, जिसमें यात्रा स्थलों का इतिहास, भूगोल, संस्कृति, कला, पर्यावरण, रीति-रिवाज आदि अनेक पक्षों-आयामों के झरोखे खुलते हैं। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी अपने साहित्यिक रुझान और लेखन-प्रवृत्ति के कारण साहित्य-जगत में भी सतत सृजनशील बने रहने वाले लेखक डॉ. ... See more
यदि विद्यालयी शिक्षा मनुष्य को शिक्षित करती है तो यायावरी उस शिक्षा को कुछ और समृद्ध कर देती है। किताबी ज्ञान एक मनुष्य को नौकरी या रोजगार पाने के लायक बनाता है तो घुमक्कड़ी मनुष्य को अपनी जीवन-यात्रा सुगम बनाने में मदद करती है। इसलिए मानव-जीवन में यात्राओं की अप्रतिम महत्ता है। प्रस्तुत पुस्तक लेखक द्वारा देशभर में की गई बहुल यात्राओं का एक ऐसा ही दस्तावेज है, जिसमें यात्रा स्थलों का इतिहास, भूगोल, संस्कृति, कला, पर्यावरण, रीति-रिवाज आदि अनेक पक्षों-आयामों के झरोखे खुलते हैं। प्रशासनिक सेवा में रहते हुए भी अपने साहित्यिक रुझान और लेखन-प्रवृत्ति के कारण साहित्य-जगत में भी सतत सृजनशील बने रहने वाले लेखक डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी यायावरी, फोटोग्राफी और साइक्लिंग आदि अभिरुचियों को भी समान भाव और त्वरा के साथ निरंतर गतिशील रखे हुए हैं। हिंदी और राजस्थानी, दोनों ही भाषा-आँगनों में समानुपातिक रूप से आवाजाही करते हुए लेखक ने दोनों ही भाषा-संसार को अपने लेखन से समृद्ध किया है। कविता, कहानी, डायरी-लेखन तथा अनुवाद आदि अनेक लेखन-अनुशासन को एक साथ साधते हुए डॉ. सोनी ने काफी कम समय में पर्याप्त काम किया है। मूल हिंदी रचनाओं-उम्मीदों के चिराग तथा रेगमाल (दोनों कविता-संग्रह) के साथ ही एडियोस (कहानी-संग्रह) एवं यादावरी (डायरी) के साथ ही रणखार (राजस्थानी कविता-संग्रह) तथा भरखमा (राजस्थानी कहानी-संग्रह) के लेखक डॉ. सोनी अच्छे अनुवादक भी हैं तथा इन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कृतियों का पंजाबी से राजस्थानी, अंग्रेजी से राजस्थानी तथा पंजाबी से हिंदी में अनुवाद भी किया है।