गुलज़ार एक मशहूर शायर हैं जो फिल्में बनाते हैं। गुलज़ार एक अप्रतिम फिल्मकार हैं जो कविताएँ लिखते हैं।बिमल राय के सहायक निर्देशक के रूप में शुरू हुए। फिल्मों की दुनिया में उनकी कविताई इस तरह चली कि हर कोई गुनगुना उठा। एक 'गुलज़ार-टाइप' बन गया। अनूठे संवाद, अविस्मरणीय पटकथाएँ, आसपास की जि़न्दगी के लम्हे उठाती मुग्धकारी फिल्में। परिचय, आँधी, मौसम, किनारा, खुशबू, नमकीन, अंगूर, इजाज़त—हर एक अपने में अलग।1934 में दीना (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलज़ार ने रिश्ते और राजनीति—दोनों की बराबर परख की। उन्होंने माचिस और हू-तू-तू बनाई, सत्या के लिए लिखा—'गोली मार भेजे में, भेजा शोर करता है...कई किताबें लिखीं। चौरस रात और रावी पार ... See more
गुलज़ार एक मशहूर शायर हैं जो फिल्में बनाते हैं। गुलज़ार एक अप्रतिम फिल्मकार हैं जो कविताएँ लिखते हैं।बिमल राय के सहायक निर्देशक के रूप में शुरू हुए। फिल्मों की दुनिया में उनकी कविताई इस तरह चली कि हर कोई गुनगुना उठा। एक 'गुलज़ार-टाइप' बन गया। अनूठे संवाद, अविस्मरणीय पटकथाएँ, आसपास की जि़न्दगी के लम्हे उठाती मुग्धकारी फिल्में। परिचय, आँधी, मौसम, किनारा, खुशबू, नमकीन, अंगूर, इजाज़त—हर एक अपने में अलग।1934 में दीना (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलज़ार ने रिश्ते और राजनीति—दोनों की बराबर परख की। उन्होंने माचिस और हू-तू-तू बनाई, सत्या के लिए लिखा—'गोली मार भेजे में, भेजा शोर करता है...कई किताबें लिखीं। चौरस रात और रावी पार में कहानियाँ हैं तो गीली मिटटी एक उपन्यास। 'कुछ नज़्में, साइलेंसेस, पुखराज, चाँद पुखराज का, ऑटम मून, त्रिवेणी वगैरह में कविताएँ हैं। बच्चों के मामले में बेहद गम्भीर। बहुलोकप्रिय गीतों के अलावा ढेरों प्यारी-प्यारी किताबें लिखीं जिनमें कई खंडों वाली बोसकी का पंचतंत्र भी है। मेरा कुछ सामान फिल्मी गीतों का पहला संग्रह था, छैयाँ-छैयाँ दूसरा। और किताबें हैं : मीरा, खुशबू, आँधी और अन्य कई फिल्मों की पटकथाएँ। 'सनसेट प्वॉइंट', 'विसाल', 'वादा', 'बूढ़े पहाड़ों पर' या 'मरासिम' जैसे अल्बम हैं तो 'फिज़ा' और 'फिलहाल' भी। यह विकास-यात्रा का नया चरण है।बाकी कामों के साथ-साथ 'मिर्जा' गालिब' जैसा प्रामाणिक टी.वी. सीरियल बनाया, कई अलंकरण पाए। सफर इसी तरह जारी है। फिल्में भी हैं और 'पाजी नज़्मों' का मजमुआ भी आकार ले रहा है। चिट्ठी का पता वही है—बोस्कियाना, पाली हिल, बांद्रा, मुम्बई।