छह साल की उम्र में जब विश्वनाथन आनंद ‘विशी’ ने चेसबोर्ड पर मोहरों को चलाना सीखा, तब से लेकर अब तक अनगिनत पुरस्कार जीते हैं। एशिया के पहले वर्ल्ड शतरंज चैंपियन बनने के बाद दुनिया के मंच पर वे उस समय आए, जब शतरंज पर काफी हद तक सोवियतों का एकाधिकार था, वे वर्ल्ड नंबर 1 बने, विश्व चैंपियन के पाँच खिताब अपने नाम किए और इस खेल के सभी प्रारूपों की प्रतियोगिताओं को जीता। ‘माइंड मास्टर’ में विशी अब तक खेले गए मुकाबलों, विरोधियों से निपटने और परिस्थितियों पर काबू पाने के दिनों को याद कर रहे हैं, और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें सामने रखते हैं, जिनसे हर पाठक को जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिलेगी— किसी लक्ष्य को प्राप्त क�... See more
छह साल की उम्र में जब विश्वनाथन आनंद ‘विशी’ ने चेसबोर्ड पर मोहरों को चलाना सीखा, तब से लेकर अब तक अनगिनत पुरस्कार जीते हैं। एशिया के पहले वर्ल्ड शतरंज चैंपियन बनने के बाद दुनिया के मंच पर वे उस समय आए, जब शतरंज पर काफी हद तक सोवियतों का एकाधिकार था, वे वर्ल्ड नंबर 1 बने, विश्व चैंपियन के पाँच खिताब अपने नाम किए और इस खेल के सभी प्रारूपों की प्रतियोगिताओं को जीता। ‘माइंड मास्टर’ में विशी अब तक खेले गए मुकाबलों, विरोधियों से निपटने और परिस्थितियों पर काबू पाने के दिनों को याद कर रहे हैं, और ऐसी महत्त्वपूर्ण बातें सामने रखते हैं, जिनसे हर पाठक को जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिलेगी— किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में तरकीबों और रणनीतियों की क्या भूमिका होती है? मुश्किल परिस्थितियों में भावनाओं को आप अपने पक्ष में कैसे कर सकते हैं? अपनी सुखद स्थिति को छोड़ आप जब जोखिम उठाने निकलते हैं, तब आपको कैसी सावधानियाँ बरतनी चाहिए? तेजी से बदलती वास्तविकताओं के बीच प्रासंगिक बने रहने के लिए आपको क्या करना चाहिए? क्या भूलना सच में सीखने का एकमात्र तरीका है? शतरंज के बेताज बादशाह विश्वनाथन आनंद की सूझबूझ, अप्रतिम मेधा और ज्ञान से भरपूर यह पुस्तक पाठकों में रोमांच, प्रेरणा और ललक पैदा करेगी, यह सुनिश्चित है।