घर-परिवार के लोग हों या अड़ोसी-पड़ोसी, कार्यक्षेत्र में आपका बॉस हो या सहकर्मी, सभी के साथ तालमेल बैठाने के लिए, हमें अपने आप में बहुत कुछ रूपांतरित व संतुलित करना पड़ता है, फिर वह हमारी बोली हो या हमारा दृष्टिकोण, हमारा व्यवहार हो या व्यक्तित्व, हमारी जोरदारे व्यवहारको प्रभावित करती है। इसलिए अपने व्यवहार पर हमेशा यह पुस्तक खेल कारनेगी के लंबे अनुभव का एक गहरा निचोड़ है, जो पाठकों के लिए गागर में सागर के समान है। छोटी-छोटी कहानियों एवं घटनाओं के माध्यम से लेखक ने व्यवहार के हर पहलू को उभारा है। लोगों के साथ कैसे व्यवहार रखें? कैसे अच्छे बक्ता बनें? दूसरों में दिलचस्पी कैसे जगाए? आलोचना का सामना कैसे करें अपनी �... See more
घर-परिवार के लोग हों या अड़ोसी-पड़ोसी, कार्यक्षेत्र में आपका बॉस हो या सहकर्मी, सभी के साथ तालमेल बैठाने के लिए, हमें अपने आप में बहुत कुछ रूपांतरित व संतुलित करना पड़ता है, फिर वह हमारी बोली हो या हमारा दृष्टिकोण, हमारा व्यवहार हो या व्यक्तित्व, हमारी जोरदारे व्यवहारको प्रभावित करती है। इसलिए अपने व्यवहार पर हमेशा यह पुस्तक खेल कारनेगी के लंबे अनुभव का एक गहरा निचोड़ है, जो पाठकों के लिए गागर में सागर के समान है। छोटी-छोटी कहानियों एवं घटनाओं के माध्यम से लेखक ने व्यवहार के हर पहलू को उभारा है। लोगों के साथ कैसे व्यवहार रखें? कैसे अच्छे बक्ता बनें? दूसरों में दिलचस्पी कैसे जगाए? आलोचना का सामना कैसे करें अपनी गलती को कैसे सुधारें? क्या हैं सफल व सकारात्मक होने के नुस्खे? आदि विषयों पर बहुत ही शोध के साथ प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक अपने आप में एक गाइड है, जो हमें हमारे अंतरतम में यात्रा कराते हुए हमारे भीतर छुपे हुए वास्तविकता से रूबरू कराती है साथ ही यह हमारे भीतर गजब का आत्मविश्वास पैदा करती है, जो हमें व्यवहारकुशल तो बनाती ही है साथ ही लोगों के दिलो- दिमाग पर हमारी अमिट छाप छोड़ती है।