आधुनिक भारत में गौवंश बहुत बड़ी समस्या बने हुए हैं। जिनको खेतों में हल चलाना था, आज वह चौक-चौराहों, मंडियों, पार्कों तथा खुले मैदानों में बिल्कुल निकम्मा बने घूम रहे हैं। इनका इस तरह अन्ना, छुट्टा व आवारापन अनुपयोगी साबित हो रहा है। मानव ने जब से घर बनाकर रहना सीखा है, तब से वह खेत जोतने के लिए बैल को पालता रहा है। आज किसान खेतों की, रात और दिन रखवाली करते हैं और गौवंशों से फसलों को बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। अब कृषक और गौवंशियों के बीच परस्पर संघर्ष की स्थिति बन चुकी है। गौवंशियों और किसानों की आपसी कलह को कृति के प्रसंगों में समेटा गया है। पुस्तक का उद्देश्य समाज में गौ क्रान्ति अभियान, जन जागरण के आ�... See more
आधुनिक भारत में गौवंश बहुत बड़ी समस्या बने हुए हैं। जिनको खेतों में हल चलाना था, आज वह चौक-चौराहों, मंडियों, पार्कों तथा खुले मैदानों में बिल्कुल निकम्मा बने घूम रहे हैं। इनका इस तरह अन्ना, छुट्टा व आवारापन अनुपयोगी साबित हो रहा है। मानव ने जब से घर बनाकर रहना सीखा है, तब से वह खेत जोतने के लिए बैल को पालता रहा है। आज किसान खेतों की, रात और दिन रखवाली करते हैं और गौवंशों से फसलों को बचाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। अब कृषक और गौवंशियों के बीच परस्पर संघर्ष की स्थिति बन चुकी है। गौवंशियों और किसानों की आपसी कलह को कृति के प्रसंगों में समेटा गया है। पुस्तक का उद्देश्य समाज में गौ क्रान्ति अभियान, जन जागरण के आन्दोलन एवं परिवर्तन मात्र नहीं है, अपितु मानव सभ्यता को आधुनिक आकार देने वाले गौवंशों को बहुउपयोगी बनाकर उन्हें पुनः उच्च कोटि की श्रेणी में स्थापित करना भी है। राजनेताओं को कृषि से, कृषक से, गाय से, गाय के दर्द से, उसकी दीन-दशा से व परेशानी से कोई लेना-देना नहीं है। आज देश में फसलों को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा मुद्दा गौवंश है तथा कुछ व्यापारी और चालक नाहक ही गौवंशों से पीड़ित हैं। आवारा गौवंशों से कृषि, कृषक, खेत, खलियान व परिवहन ही नहीं, बल्कि समस्त जीव जगत प्रभावित हुआ है। गौशाला गान ने उन सभी वर्गों को छूने का प्रयास किया है, जो गौवंशों से परिचित हैं और प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं। इसमें गौभक्त, किसान, व्यापारी, चालक, नेता, ग्रामीण जनमानस एवं पाठकबन्धुओं को सम्मिलित किया गया है और रचना में सभी वर्गों को यथास्थान जोड़कर गौशाला गान ने अपने पाठक परिवार को वृहद करने का प्रयास किया है और कुछ जिम्मेदारी आपको भी देते हैं कि अब गौपद स्वरों के गीत सुनना और सुनाना है।