...सन् 1947 से लेकर 1971 तक मयमनसिंह पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा था। बाबा नौ वर्ष की उम्र में 1952 में भारत आ गए। इस तरह बाबा के जीवन में भारत के साथ-साथ दो अन्य देशों – पाकिस्तान और बांग्लादेश के भी नाम जुड़े हैं। यह हमारी ख़ुशक़िस्मती है कि आज भी बाबा की स्मृति में वह सब हूबहू दर्ज है। एक और अहम बात यह है कि 1952 तक नौ वर्ष की उम्र में भारत आने के 70 वर्ष बाद यानी 2022 में बाबा को लेकर मैं स्वयं बांग्लादेश गया। चार दिनों की छोटी पर अद्भुत और अविस्मरणीय यात्रा-संस्मरण भी इस पुस्तक में दर्ज है जो मुझे लगता है पाठक अवश्य पसंद करेंगे। जहाँ एक ओर हमारी बांग्लादेश यात्रा के सूत्रधार रहे वाहिद खान साहब, बाबा के छोटे भाई यानी हमारे चाचा के �... See more
...सन् 1947 से लेकर 1971 तक मयमनसिंह पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा था। बाबा नौ वर्ष की उम्र में 1952 में भारत आ गए। इस तरह बाबा के जीवन में भारत के साथ-साथ दो अन्य देशों – पाकिस्तान और बांग्लादेश के भी नाम जुड़े हैं। यह हमारी ख़ुशक़िस्मती है कि आज भी बाबा की स्मृति में वह सब हूबहू दर्ज है। एक और अहम बात यह है कि 1952 तक नौ वर्ष की उम्र में भारत आने के 70 वर्ष बाद यानी 2022 में बाबा को लेकर मैं स्वयं बांग्लादेश गया। चार दिनों की छोटी पर अद्भुत और अविस्मरणीय यात्रा-संस्मरण भी इस पुस्तक में दर्ज है जो मुझे लगता है पाठक अवश्य पसंद करेंगे। जहाँ एक ओर हमारी बांग्लादेश यात्रा के सूत्रधार रहे वाहिद खान साहब, बाबा के छोटे भाई यानी हमारे चाचा के पूर्व परिचित, जिनके सहयोग के बिना हमारी यात्रा इतनी आसान तो नहीं ही होती तो दूसरी ओर कमाल भाई और युवा ‘मासूम’ जैसे कमाल के साथी भी हमें बांग्लादेश में मिले जिनका जिक्र बाबा ने संस्मरण में बख़ूबी किया है।... --भास्कर चौधुरी