सूरज पालीवाल कहानी-संग्रह : ‘टीका प्रधान और जंगल’; आलोचना ग्रन्थ : रे’णु का कथा संसार’, ‘रचना का सामाजिक आधार’, ‘संवाद की तह में’, ‘आलोचना के प्रसंग’, ‘मैला आँचल : एक विमर्श’, ‘समकालीन हिन्दी उपन्यास’, ‘महाभोज का महत्त्व’, ‘हिन्दी में भूमण्डलीकरण का प्रभाव और प्रतिरोध’, ‘इक्कीसवीं सदी का पहला दशक और हिन्दी कहानी’, ‘कथा विवेचन का आलोक तथा इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक और हिन्दी उपन्यास’। कई वर्षों तक 'वर्तमान साहित्य' के सम्पादक मण्डल में, 'इरावती' के प्रधान सम्पादक तथा 'अक्सर' के कार्यकारी सम्पादक। ‘डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान', 'पंजाब कला एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार', ‘बनफूल साहित्य सम्मान’, ‘आचार्य निरंजनन... See more
सूरज पालीवाल कहानी-संग्रह : ‘टीका प्रधान और जंगल’; आलोचना ग्रन्थ : रे’णु का कथा संसार’, ‘रचना का सामाजिक आधार’, ‘संवाद की तह में’, ‘आलोचना के प्रसंग’, ‘मैला आँचल : एक विमर्श’, ‘समकालीन हिन्दी उपन्यास’, ‘महाभोज का महत्त्व’, ‘हिन्दी में भूमण्डलीकरण का प्रभाव और प्रतिरोध’, ‘इक्कीसवीं सदी का पहला दशक और हिन्दी कहानी’, ‘कथा विवेचन का आलोक तथा इक्कीसवीं सदी का दूसरा दशक और हिन्दी उपन्यास’। कई वर्षों तक 'वर्तमान साहित्य' के सम्पादक मण्डल में, 'इरावती' के प्रधान सम्पादक तथा 'अक्सर' के कार्यकारी सम्पादक। ‘डॉ. रामविलास शर्मा आलोचना सम्मान', 'पंजाब कला एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार', ‘बनफूल साहित्य सम्मान’, ‘आचार्य निरंजननाथ साहित्यकार सम्मान', 'नागरी प्रचारिणी सभा आगरा सम्मान' तथा राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा 'विशिष्ट साहित्यकार सम्मान'। महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा में साहित्य विद्यापीठ के पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता।