इस पुस्तक की कथा श्रीमद्भागवत के अवधूत दत्तात्रेय उपाख्यान से ली गई है। इस महान् ग्रन्थ में साधन- ज्ञान आदि का परम रहस्य बड़ी मधुरता के साथ भरा हुआ है। उद्धव श्रीकृष्ण के बालसखा थे और भक्त भी थे। श्रीकृष्ण जब परमधाम जाने लगे, तब उद्धव को समझाने के लिए दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं का उपाख्यान सुनाया। भगवान् का कृष्णावतार बड़ा विलक्षण अवतार है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गुरु के विषय में बहुत अच्छी बात बताई कि जो कोई भी सीखने के लिए तैयार है, वह हर चीज़ से सीख सकता है। उसके कितने ही गुरु हो सकते हैं। पेड़ पौधों से, फूल पत्तों से, हवा से, पानी से, हर चीज़ से सीखने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जायेगा। यह जो विश्वविद्यालय शब्द है, इसका... See more
इस पुस्तक की कथा श्रीमद्भागवत के अवधूत दत्तात्रेय उपाख्यान से ली गई है। इस महान् ग्रन्थ में साधन- ज्ञान आदि का परम रहस्य बड़ी मधुरता के साथ भरा हुआ है। उद्धव श्रीकृष्ण के बालसखा थे और भक्त भी थे। श्रीकृष्ण जब परमधाम जाने लगे, तब उद्धव को समझाने के लिए दत्तात्रेय के चौबीस गुरुओं का उपाख्यान सुनाया। भगवान् का कृष्णावतार बड़ा विलक्षण अवतार है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गुरु के विषय में बहुत अच्छी बात बताई कि जो कोई भी सीखने के लिए तैयार है, वह हर चीज़ से सीख सकता है। उसके कितने ही गुरु हो सकते हैं। पेड़ पौधों से, फूल पत्तों से, हवा से, पानी से, हर चीज़ से सीखने के लिए कुछ न कुछ मिल ही जायेगा। यह जो विश्वविद्यालय शब्द है, इसका यही अर्थ है कि जो विश्व है, वही विद्यालय है। सीखने के लिए तैयार हों। यहाँ से जो मिले सीखते चलें। सबमें गुरुभाव रखें। अवधूत दत्तात्रेय जी के बनाये इन्हीं चौबीस गुरु- सूर्य, अग्नि, पृथ्वी, सागर, वायु, जल आदि की रोचक ज्ञानवर्द्धक कथा इस पुस्तक में है। About the Authorउच्च न्यायिक सेवा से लेखिका सेवानिवृत्त हैं और पति श्री ओम कुमार प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हैं। दिया हुआ नाम चन्द्रप्रभा, डिग्री में नाम राजेन्द्रकुमारी एम.ए.,एल-एल.बी.। बिहार प्रादेशिक न्यायिक सेवा में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त कर प्रथम महिला जज होने का गौरव। “गृहदीप्ति”, “भोगप्रसाद”, “बेसिक होम कुकिंग”, “आश्रिता”, “जीवन में न्याय”, “सरस कहानियाँ”, “एक ही नीड़”, “बाऊ जी ने कहा था”, “एवं “उड़ान मेरी” आदि १२-१३ पुस्तकें प्रकाशित। एक पुस्तक “जीवन धारा” प्रकाशनाधीन। आश्रिता उपन्यास पर के. बी. हिन्दी सेवा न्यास (पंजी) द्वारा “हिन्दी भूषण श्री” सम्मान से सम्मानित। क़रीब अड़तीस साझा संकलनों में रचनायें प्रकाशित। “Indian Constitution for Children” पुस्तक यूनीकॉर्न बुक्स से प्रकाशित हुई है। स्टोरीमिरर से “लिटरेरी जनरल” सम्मान प्राप्त हुआ है, “फ़्री इंडिया” कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है, तथा उपन्यास “बाऊ जी ने कहा था” को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है, और सौ से अधिक प्रशंसा प्रमाण पत्र मिले हैं, तथा “ऑथर ऑफ द ईयर २०२२” का विजेता प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है।