कोई भी समाज कैसा है, यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उसके वयस्क नागरिकों को बचपन में किस प्रकार की शिक्षा दी गयी थी। क्या उनको सिर्फ परीक्षा उत्तीर्ण करने या पुस्तकीय पाठ्यक्रम पूरा करने या जीवन में धन, ऊँचा पद पाने की दृष्टियों से ही पढ़ाया गया था? या फिर उन्हें जीवन के विविध पक्षों, जीवन मूल्यों, आचरण और विचार को उत्कृष्ट बनाने की समग्र शिक्षा दी गयी थी? प्रस्तुत पुस्तक इस दूसरे पक्ष से जुड़ी विषय सामग्री पर ही केंद्रित है। प्रस्तुत पुस्तक में वे व्यावहारिक शिक्षा-सूत्र हैं जिनके प्रयोग से सुधी शिक्षक साथी अपने शिक्षण को बहुआयामी, रोचक और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। साथ ही इसमें वे प्रेरक बाल-उद्बोधन भी ... See more
कोई भी समाज कैसा है, यह बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उसके वयस्क नागरिकों को बचपन में किस प्रकार की शिक्षा दी गयी थी। क्या उनको सिर्फ परीक्षा उत्तीर्ण करने या पुस्तकीय पाठ्यक्रम पूरा करने या जीवन में धन, ऊँचा पद पाने की दृष्टियों से ही पढ़ाया गया था? या फिर उन्हें जीवन के विविध पक्षों, जीवन मूल्यों, आचरण और विचार को उत्कृष्ट बनाने की समग्र शिक्षा दी गयी थी? प्रस्तुत पुस्तक इस दूसरे पक्ष से जुड़ी विषय सामग्री पर ही केंद्रित है। प्रस्तुत पुस्तक में वे व्यावहारिक शिक्षा-सूत्र हैं जिनके प्रयोग से सुधी शिक्षक साथी अपने शिक्षण को बहुआयामी, रोचक और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। साथ ही इसमें वे प्रेरक बाल-उद्बोधन भी हैं जिनसे बच्चों की सोच तार्किक रूप से विशाल और गहरी बने ताकि उनके दैनिक आचार-विचार में सकारात्मक बदलाव हो और देश-समाज सभी का लाभ हो।