दादा जे.पी. वासवानी के शब्दों में, 'घर ही ईश्वर के राज्य का प्रवेश द्वार है, और वही सच्ची प्रसन्नता का राज्य है.'अगर आप भी अपने घर को धरती का स्वर्ग बनाना चाहते हैं, तो दादा आपको इसके लिए राह दिखा रहे हैं. दादा की यह पुस्तक प्रेम, धैर्य, उचित मार्गदर्शन, तथा स्नेहिल अनुशासन को ऐसी योग्यताओं के रूप में प्रकट करती है जिन्हें माता-पिता को अपने भीतर विकसित करना चाहिए ताकि वे अपने बच्चों का यथासंभव बेहतर पालन-पोषण कर सकें. वे कहते हैं कि आपके बच्चे ही आपकी असली संपदा और खज़ाना हैं. वे हमें मूल्यों और आदर्शों के अनुसार बच्चो को पालने का उचित तरीका सीखा रहे हैं, जो बच्चों को अच्छा इंसान बनाने में सहायक होगा और वे ज़िम्मेदार ना�... See more
दादा जे.पी. वासवानी के शब्दों में, 'घर ही ईश्वर के राज्य का प्रवेश द्वार है, और वही सच्ची प्रसन्नता का राज्य है.'अगर आप भी अपने घर को धरती का स्वर्ग बनाना चाहते हैं, तो दादा आपको इसके लिए राह दिखा रहे हैं. दादा की यह पुस्तक प्रेम, धैर्य, उचित मार्गदर्शन, तथा स्नेहिल अनुशासन को ऐसी योग्यताओं के रूप में प्रकट करती है जिन्हें माता-पिता को अपने भीतर विकसित करना चाहिए ताकि वे अपने बच्चों का यथासंभव बेहतर पालन-पोषण कर सकें. वे कहते हैं कि आपके बच्चे ही आपकी असली संपदा और खज़ाना हैं. वे हमें मूल्यों और आदर्शों के अनुसार बच्चो को पालने का उचित तरीका सीखा रहे हैं, जो बच्चों को अच्छा इंसान बनाने में सहायक होगा और वे ज़िम्मेदार नागरिकों के रूप में जीवन जी सकेंगे. तो आगे बढ़ें और तथाकथित पीढ़ी-अंतराल से ऊपर उठते हुए, अपने बच्चों के साथ मातृ भाव स्थापित करें!