मेरा बच्चा शरारती है, जिद्दी है, लड़ता-झगड़ता है, कहना नहीं मानता, पढ़ता तो बिल्कुल नहीं और उपर से जवाब भी देता है। अक्सर आजकल के माँ-बाप बच्चों के बारे में ऐसी ही शिकायतें करते हैं। वे यह जानने की कोशिश ही नहीं करते कि उनका बच्चा ऐसा व्यवहार कर क्यों रहा है? ऐसा नहीं है कि बच्चा अचानक ही ऐसा करना सीख लेता है, यह एक प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे आस-पास के माहोल के आधार पर पनपती है।
आजकल की भाग दौड़ के जीवन में बच्चों का बचपन कहीं खो सा रहा है, बिगड़ रहा है और असुरक्षित होता जा रहा है। बचपन अच्छे संस्कारों और मानवीय मूल्यों से दूर होता जा रहा है। बच्चों को स्कूली ज्ञान के अतिरिक्त आत्म-संयम, सेवा-भावना, कर्तव्य-बोध, श्रम, त्याग, स�... See more
मेरा बच्चा शरारती है, जिद्दी है, लड़ता-झगड़ता है, कहना नहीं मानता, पढ़ता तो बिल्कुल नहीं और उपर से जवाब भी देता है। अक्सर आजकल के माँ-बाप बच्चों के बारे में ऐसी ही शिकायतें करते हैं। वे यह जानने की कोशिश ही नहीं करते कि उनका बच्चा ऐसा व्यवहार कर क्यों रहा है? ऐसा नहीं है कि बच्चा अचानक ही ऐसा करना सीख लेता है, यह एक प्रक्रिया है जो धीरे-धीरे आस-पास के माहोल के आधार पर पनपती है।
आजकल की भाग दौड़ के जीवन में बच्चों का बचपन कहीं खो सा रहा है, बिगड़ रहा है और असुरक्षित होता जा रहा है। बचपन अच्छे संस्कारों और मानवीय मूल्यों से दूर होता जा रहा है। बच्चों को स्कूली ज्ञान के अतिरिक्त आत्म-संयम, सेवा-भावना, कर्तव्य-बोध, श्रम, त्याग, सदभावना, समर्पण आदि गुणों से भी परिचित करवाना चाहिए और इन गुणों को सीखने की सबसे उत्तम पाठशाला होती है परिवार।
इस पुस्तक में कुछ छोटी-छोटी ऐसी बातों का उल्लेख है जो हमारे जीवन का सामान्य अंग है। इन बातों पर अमल करने के लिए विशेष प्रयत्न करने की आवश्यकता भी नहीं। केवल सतर्कता और अभ्यास से इन बातों पर अमल करके बच्चों को बहुत सी अच्छी आदतों से अवगत कराया जा सकता है। इस पुस्तक में उपर्युक्त विषयों के साथ साथ अन्य ऐसे विषयों पर चर्चा की गई है जो बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं । देखना होगा कि बच्चों से उनका बचपन न छीना जाए और उनके व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो।