राजस्थान के सीकर ज़िले में पैदा हुए राहगीर एक घुमक्कड़ कलाकार हैं। देश भर घूमने, जीवन-समाज को क़रीब से देखने तथा महसूस करने का इनका अनुभव इनके गीतों, कविताओं और कहानियों में दृष्टिगोचर होता है। राहगीर ख़ुद के लिखे हिंदी गीतों के अलावा राजस्थानी, हिमाचली, पंजाबी आदि भाषाओं में लोकगीत भी गाते हैं।
अपने सच्चे-सरल लेखन और गायकी से इन्होंने पूरे देश का दिल जीता है। ‘फूलों की लाशों में ताज़गी चाहता है’, ‘तुम पकड़ के गाड़ी मेरे गाँव आओगे’, ‘जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली’ और ‘कैसा कुत्ता है’ जैसे गीत ज़ुबाँ-ज़ुबाँ पर हैं।
अब तक इनके तीन एल्बम और 35 से अधिक गीत रिलीज़ हो चुके हैं। इससे पहले ‘कैसा कुत... See more
राजस्थान के सीकर ज़िले में पैदा हुए राहगीर एक घुमक्कड़ कलाकार हैं। देश भर घूमने, जीवन-समाज को क़रीब से देखने तथा महसूस करने का इनका अनुभव इनके गीतों, कविताओं और कहानियों में दृष्टिगोचर होता है। राहगीर ख़ुद के लिखे हिंदी गीतों के अलावा राजस्थानी, हिमाचली, पंजाबी आदि भाषाओं में लोकगीत भी गाते हैं।
अपने सच्चे-सरल लेखन और गायकी से इन्होंने पूरे देश का दिल जीता है। ‘फूलों की लाशों में ताज़गी चाहता है’, ‘तुम पकड़ के गाड़ी मेरे गाँव आओगे’, ‘जाहिलों का कोई शहर नहीं, क्या जयपुर क्या दिल्ली’ और ‘कैसा कुत्ता है’ जैसे गीत ज़ुबाँ-ज़ुबाँ पर हैं।
अब तक इनके तीन एल्बम और 35 से अधिक गीत रिलीज़ हो चुके हैं। इससे पहले ‘कैसा कुत्ता है!’ शीर्षक से इनका एक कविता-संग्रह प्रकाशित हो चुका है जो साल 2022 की लोकप्रिय किताबों में से एक रहा है। ‘आहिल’ इनकी दूसरी किताब और पहला उपन्यास है।
इनके गाने यूट्यूब, स्पॉटिफ़ाई इत्यादि पर सुने जा सकते हैं। इनके सफ़र का हिस्सा बनने के लिए सोशल मीडिया पर Rahgir नाम से जुड़ा जा सकता है।