अनुज कुमार सिन्हा
झारखंड के चाईबासा में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग में। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई। जेवियर सेवा समाज संस्थान से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। पत्रकारिता में 40 साल का अनुभव। स्कूल के दिनों में ही 'विज्ञान प्रगति' जैसी पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। 1987 में प्रभात खबर, राँची में उपसंपादक बने।
1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर का प्रकाशन आरंभ किया और वहाँ के पहले स्थानीय संपादक बने। जमशेदपुर में 15 साल पत्रकारिता करने के बाद 2010 में राँची प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादक के तौर पर योगदान दिया, फिर कार्यकारी सं... See more
अनुज कुमार सिन्हा
झारखंड के चाईबासा में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग में। संत कोलंबा कॉलेज, हजारीबाग से गणित (ऑनर्स) में स्नातक। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई। जेवियर सेवा समाज संस्थान से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया। पत्रकारिता में 40 साल का अनुभव। स्कूल के दिनों में ही 'विज्ञान प्रगति' जैसी पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। 1987 में प्रभात खबर, राँची में उपसंपादक बने।
1995 में जमशेदपुर से प्रभात खबर का प्रकाशन आरंभ किया और वहाँ के पहले स्थानीय संपादक बने। जमशेदपुर में 15 साल पत्रकारिता करने के बाद 2010 में राँची प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादक के तौर पर योगदान दिया, फिर कार्यकारी संपादक बने। झारखंड, झारखंड आंदोलन, स्वतंत्रता आंदोलन, आदिवासी मुद्दे, झारखंड के आंदोलनकारी आदि लेखन के प्रिय विषय रहे। झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए जुड़े रहे। झारखंड सरकार द्वारा झारखंड आंदोलनकारी के तौर पर चिह्नित किया गया।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें - 'झारखंड आंदोलन का दस्तावेज शोषण, संघर्ष और शहादत', 'बरगद बाबा का दर्द', 'प्रभात खबर : प्रयोग की कहानी', 'झारखंड राजनीति और हालात', 'महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा', 'ब्यूरोक्रेट्स ऑफ झारखंड', 'झारखंड के आदिवासी : पहचान का संकट', 'दिशोम गुरु : शिबू सोरेन', 'अनसंग हीरोज ऑफ झारखंड', 'झारखंड आंदोलन में महिलाओं की भूमिका'।
पुरस्कार : स्व. राममनोहर लोहिया स्मृति पुरस्कार, शंकर नियोगी पुरस्कार, हौसाआइ बंडू आठवले पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान।