कुम्भ-मेला को भारतीय मानस जीवन के आनंद की शाश्वत उपलब्धि का ध्येय मानता है। कुम्भ-मेला के विभिन्न पक्ष हैं– भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक। जिस व्यक्ति को इस मेला का इतिहास, इसकी पृष्ठभूमि, इससे सम्बद्ध विश्वास, लोक श्रुतियाँ, रीति-रिवा़ज आदि की जानकारी नहीं होगी, उसे यह मेला अन्य सामान्य मेलों की तरह ही लगेगा। जिसको इसके विभिन्न पक्षों का सम्यक् ज्ञान होगा, वही वस्तुत: इस विराट समारोह का आनंद उठा पाएगा। किस कृत्य की क्या महत्ता एवं प्रासंगिकता है, वह समझ पाएगा। कुम्भ-स्थल में वह किस पक्ष को वरीयता दे, किन तत्त्वों का अवगाहन करे, यह निर्णय कर पाएगा। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही सुधी एवं विचारशील तीर्थ य�... See more
कुम्भ-मेला को भारतीय मानस जीवन के आनंद की शाश्वत उपलब्धि का ध्येय मानता है। कुम्भ-मेला के विभिन्न पक्ष हैं– भौतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक। जिस व्यक्ति को इस मेला का इतिहास, इसकी पृष्ठभूमि, इससे सम्बद्ध विश्वास, लोक श्रुतियाँ, रीति-रिवा़ज आदि की जानकारी नहीं होगी, उसे यह मेला अन्य सामान्य मेलों की तरह ही लगेगा। जिसको इसके विभिन्न पक्षों का सम्यक् ज्ञान होगा, वही वस्तुत: इस विराट समारोह का आनंद उठा पाएगा। किस कृत्य की क्या महत्ता एवं प्रासंगिकता है, वह समझ पाएगा। कुम्भ-स्थल में वह किस पक्ष को वरीयता दे, किन तत्त्वों का अवगाहन करे, यह निर्णय कर पाएगा। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही सुधी एवं विचारशील तीर्थ यात्रियों के लिए लिखी गई है।