1947 में भारत का विभाजन बीसवीं सदी की सबसे दुखांत घटना थी, जिसके जख्म अभी तक नहीं पुरि। इसके कारण चार पीढियों की मानसिकता आहत हुई। क्यों हुआ यह बंटवारा? कौन इसके लिए उत्तरदायी थे-जिन्दा, कांग्रेस पार्टी अथवा अंग्रेज? इस पुस्तक के लेखक जसवंत सिंह ने इसका उत्तर खोजने की कोशिश की है-संभवत कोई निश्चित उत्तर हो नहीं सकता, फिर भी अपनी ओर से पूरी ईमानदारी से खोज की हे, क्योंकि जिन्दा जो किसी समय हिन्दू मुस्लिम एकता के पैरोकार थे, कैसे भारत में मुसलमानों के एकमात्र प्रवक्ता बने और अंतत: पाकिस्तान के निर्माता और फिर क्रायदे-आज़म। इस परिवर्तन की प्रक्रिया कैसे हुई ने 'मुस्लिम एक अलग राष्ट्र हे', यह प्रश्न कब और केसे उभरा और �... See more
1947 में भारत का विभाजन बीसवीं सदी की सबसे दुखांत घटना थी, जिसके जख्म अभी तक नहीं पुरि। इसके कारण चार पीढियों की मानसिकता आहत हुई। क्यों हुआ यह बंटवारा? कौन इसके लिए उत्तरदायी थे-जिन्दा, कांग्रेस पार्टी अथवा अंग्रेज? इस पुस्तक के लेखक जसवंत सिंह ने इसका उत्तर खोजने की कोशिश की है-संभवत कोई निश्चित उत्तर हो नहीं सकता, फिर भी अपनी ओर से पूरी ईमानदारी से खोज की हे, क्योंकि जिन्दा जो किसी समय हिन्दू मुस्लिम एकता के पैरोकार थे, कैसे भारत में मुसलमानों के एकमात्र प्रवक्ता बने और अंतत: पाकिस्तान के निर्माता और फिर क्रायदे-आज़म। इस परिवर्तन की प्रक्रिया कैसे हुई ने 'मुस्लिम एक अलग राष्ट्र हे', यह प्रश्न कब और केसे उभरा और किस तरह भारत के विभाजन में इसकी परिणति हुईं। पाकिस्तान को यह विभाजन कितना भारी पडा। बंगलादेश क्यों बना और आज़ पाकिस्तान की स्थिति क्या हैं? इन सब ज्वलन्त प्रश्नों की पड़ताल इस पुस्तक का विषय है। लेखक का विश्वास है कि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति तभी होगी, जब इस प्रश्न पर गंभीरता से विचार किया जाए कि यह सब क्यों हुआ" अब तक किसी भारतीय या पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ अथवा सांसद ने इस प्रश्न का विश्लेषण करते हुए जिन्ना की जीवनी नहीं लिखी। यह पुस्तक इस दिशा में सापेक्ष और ईमानदाराना प्रयत्न हैं।